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अनुभव और लेख

माँ बगलामुखी: न्याय, स्तम्भन और रहस्य की तांत्रिक देवी

✨ भूमिका भारतीय तांत्रिक परंपरा में दस महाविद्याओं का विशेष स्थान है। इन्हीं में से एक हैं माँ बगलामुखी – जिन्हें स्तम्भन, वाक्-विजय, शत्रु नाश, निर्णय बल और मौन की शक्ति की देवी माना जाता है।इन्हें पीताम्बरा, ब्रह्मास्त्र-विद्या की अधिष्ठात्री, और गूढ़ तांत्रिक सत्ता की स्वामिनी के रूप में पूजा जाता है। ✨ माँ बगलामुखी का उद्भव एवं स्वरूप ईश्वर की इच्छा से जब त्रिलोक में कलह और असंतुलन फैल गया, तब भगवान विष्णु ने पीले कमल पर तप किया। तपस्या से उत्पन्न ऊर्जा से प्रकट हुईं माँ बगलामुखी – जिनकी कांति स्वयं पीतवर्ण की थी।इसलिए उन्हें पीताम्बरा कहा गया। उनका प्रमुख मंत्र “ह्लीं” बीज से प्रारंभ होता है – जो स्तम्भन का मूल स्रोत है। बगला का अर्थ है

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नवीनतम अनुभव

बगलामुखी कल्प विधान

इसमें माँ बगलामुखी का सर्वांग पूजन आगे दी विधि के अनुसार करें। सर्वप्रथम 3 बार मूलमंत्र से प्राणायाम करें बाएं नथुने से धीरे-धीरे सांस खींच कर उसे तब तक रोके रहे जब तक छटपटाहट महसूस न होने लगे फिर इसे दांए नथुने से धीरे-धीरे बाहर छोडे पुनः दांए से खींच कर बाए नथुने से सांस छोड़ें यह एक प्राणायाम हुआ, इस प्रकार तीन बार कर, मूल मंत्र का 108 बार जाप कर, दिग्बन्धन के समय सम्बन्धित दिशा में चुटकी बजाए – दिग्बन्धन – ॐ ऐं ह्ल्रीं श्रीं श्यामा माँ पूर्वतः पातु । ॐ ऐं ह्ल्रीं श्रीं आग्नेय्यां पातु तारिणी ।। ॐ ऐं ह्ल्रीं श्रीं माहविद्या दक्षिणे तु । ॐ ऐं ह्ल्रीं श्रीं नैर्ऋत्यां षोडशी तथा ।। ॐ ऐं ह्ल्रीं श्रीं

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बगला प्रत्यंगिरा कवच

(इस स्तोत्र का विधान रुद्रयामल में शिव पार्वती संवाद से उजागृत हुआ है) विनियोग:- ॐ अस्य श्री बगला प्रत्यंगिरा मंत्रस्य नारद ऋषिः स्त्रिष्टुपछन्दः प्रत्यंगिरा देवता ह्लीं बीजं हूँ शक्तिः ह्रीं कीलकं हलीं हलीं हलीं हलीं प्रत्यंगिरा मम शत्रु विनाशे विनियोगः | (हाथ मे लिये हुए जल को पृथ्वी पर डाल दे ) ॐ प्रत्यंगिरायै नमः प्रत्यंगिरे सकल कामान साधय मम रक्षां कुरु कुरु सर्वान खादय मारय मारय, घातय घातय ॐ ह्रीं फट स्वाहा | ॐ भ्रामरी स्तम्भिनी देवी क्षोभिणी मोहिनी तथा । संहारिणी द्राविणी च जृम्भणी रौद्ररूपिणी || इत्यष्टौ शक्तयो देवि शत्रु पक्षे नियोजताः | धारयेत कण्ठदेशे च सर्व शत्रु विनाशिनी || ॐ ह्रीं भ्रामरी सर्व शत्रून भ्रामय भ्रामय ॐ ह्रीं स्वाहा | ॐ ह्रीं स्तम्भिनी मम शत्रून स्तम्भय स्तम्भय

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करते रहो-करते रहो- माँ सब कुछ देती है

जब माँ बगलामुखी अपने साधक को कुछ विशेष देना चाहती है, तब परिश्रम अत्यधिक करा लेती है। हमारे सद्गुरू बसन्त बाबा कामाख्या धाम, असम हमसे यही कहते रहते थे, “ करते रहो- करते रहो-माँ सब कुछ देती है” सुन कर मैं म नही मन सोचा करता था, यह हमें कुछ बतलाना नहीं चाहते। अतः करते रहो करते रहो कह कर हमें टरका रहें हैं। परन्तु गुरु आज्ञा सर्वोपरी मान कर पुनः मैं जय के मार्ग पर आगे बढ़ने लगता, करते-करते दो वर्ष कब व्यतीत हो गए, हमें ज्ञात ही नहीं रहा, परन्तु माँ ने हमें देना प्रारम्भ किया तो देती ही रही, जिसका क्रम आज भी चल रहा है, मन अत्यधिक प्रफुल्लित रहता है। अब तो कुछ मांगने की इच्छा

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बन्धन कैसे खोले

समाज में अच्छे व बुरे दोनों प्रकार के साधक होते हैं, यदि किसी दुष्ट तांत्रिक ने आप के मंत्रों का कीलन कर दिया, दूसरे शब्दों में उसने आप के मंत्रों को बांध दिया है, तो आप का सारा परिश्रम व्यर्थ हो जाएगा, परिणाम शून्य ही आयेगा। इसलिए कहा गया है कि अनुष्ठान करते समय अपना मंत्र किसी को नहीं बतलाना चाहिए। फिर भी किसी दुष्ट ने यदि आप के मंत्रों को बांध दिया है तो उस दुष्ट तांत्रिक को उचित दंड देने हेतु मां से प्रार्थना करें। मैं वह विधि सार्वजनिक नहीं कर सकता जिससे उस दुष्ट तांत्रिक को चाहे कितना ही ताकतवर क्यू न हो इस संसार को टाटा करना ही पड़ जाता है। कुछ साधारण प्रयोग हैं, जिसे

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अधिक उम्र में विवाह

मेरे यजमान की उम्र ३५ वर्ष हो गई थी परन्तु उसका विवाह नहीं हो पा रहा था लड़की वाले आते विवाह के बारे में चर्चा लड़की पसंद आने पर लड़की वाले खुद स्वयं हट जाते थे, जब की लड़का सर्विस में थे अच्छी खासी कमाई भी करता था, स्वस्थ्य वा सूंदर होने के बाद भी विवाह नहीं हो पा रहा था, कारण उसके पिता को सफ़ेद दाग की बीमारी थी। उसके लिए अनुष्ठान किया गया सर्व प्रथम उसके प्रारब्ध का सुधार बगला गायत्री का एक लाख जप करके हवन किया गया| हवन सामग्री सूची इस प्रकार प्रारब्ध ठीक कर उसके विवाह हेतु मूल मंत्र से सम्पुटित कर दुर्गा सप्तसती के मंत्र का एक लाख जप वा हवन किया गया हवन

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डूबा हुआ धन प्राप्त करना

संकल्प दे – अमुक व्यक्ति से हमारा धन (रुका हुआ पैसा वापस दिलाने हेतु मैं भगवती बगलामुख मंत्र सम्पुटित कर्त्यवीर्यार्जुनो मूल मंत्र का दस हजार जप करने का संकल्प कर रहा हूँ > अनुष्ठान से पूर्व बगला गायत्री १०,००० करे । “ॐ ह्ल्रीं ब्रह्मा अस्त्राय विद्महे स्तम्भन । वाणायै धीमहि तन्नो बगला प्रचोतयात ।। कर्त्यवीर्यार्जुनों गायत्री १०,००० करे। कार्तवीर्याय विद्म्हे महावीर्याय धीमहि तन्नो अर्जुन प्रचोदयात माला :  ➢ बगलामुखी मूल मंत्र के लिए हल्दी की माला।➢ बगला गायत्री मंत्र के लिए रुद्राक्ष की माला।➢ कार्यसिद्धि याकिणी मंत्र के लिए लाल चंदन की माला।➢ पंचोपचार पूजन – हल्दी का तिलक।➢ पीले पुष्पों का हार पहनाएं।➢ गुगल की धूप, घी का दीपक, बेसन के लड्डू।➢ 10,000 – 10,000 के चार अनुष्ठान करें।

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दुष्ट तांत्रिक विधान को नष्ट करना बगला सूक्त

मेरा यजमान एक सरकारी ड्राइवर है जिस पर कृत्या का इतना तीव्र प्रयोग किया गया कि वह घर में रह ही नहीं पाते थे, रात में भी घर न जाकर आफिस में ही सोते थे। चार-चार माह बीत जाते परन्तु वह घर जाने का नाम ही नहीं लेते यही नहीं तन्त्र द्वारा उन्हें पूर्णतः नपुंशक बना दिया गया, उनका सेक्स पूर्णतः नष्ट हो चुका था। सेक्स ठीक करवाने हेतु अनेको डाक्टरों की दवाइयों का सेवन किया, परन्तु कोई लाभ न हुआ, कई तांत्रिकों के चक्कर लगाए, एक तांत्रिक पर भैरव का आवेश आता था, रात-रात उसके वहाँ रहे बड़े-बड़े वादे उस तांत्रिक ने किए पर समस्या जस की तस बनी रही। उनके तीन बेटियाँ विवाह के योग्य हो रही थीं,

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प्राण प्रतिष्ठा- गूलर की लकड़ी पर

विनियोग – ॐ अस्य श्री प्राण प्रतिष्ठा मन्त्रस्य ब्रह्मा विष्णु रुद्रा ऋषयः ऋग्य जुसामानिच्छन्दासि, पराssख्या प्राण शक्ति देवता आं बीजं, ही शक्तिः, क्रों कीलकम् मम शत्रु ( …….) प्राण प्रतिष्ठापने विनियोगः । (जल भूमि पर डाल दे ) ऋष्यादि न्यास- ॐ अंगुष्ठायो ।  ॐ आं ह्रीं क्रौं अं कं खं गं घं ड़ं आं ॐ हीं वाय वग्नि सलिल पृथ्वी स्वरूपाददत्मने डंग प्रत्यंगयौः तर्जन्येश्च । ॐ आं ह्रीं क्रौं इं छं जं झं ञं ई परमात्य पर सुगन्धा ssत्मने शिरसे स्वाहा मध्यमयोश्च । ॐ आं ह्रीं क्रौं डं टं ठं डं ढं णं ॐ श्रोत्र त्व क्चक्षु-जिव्हा धाणाssत्यने शिखायै वषट् अनामिकयोश्च । ॐ आं ह्रीं क्रों एं थंदं धं नं प्राणात्मने-कवचाय हुं कनिष्ठिकयोश्च। ॐ आं ह्रीं क्रों पं फं बं

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यंत्र की महत्ता व उसके शक्ति वर्धन के उपाए

(श्रीपादं (Shree Baglamukhi Yantra) माँ बगलामुखी महायंत्र : सिद्ध की हुई माला से जो जप किया जाता है वह शीघ्र ही फलीभूत होता है। बिना प्राण प्रतिष्ठा के यंत्र शक्ति विहीन ही रहता है। यंत्र की क्षमता तांबे व पीतल के यंत्र 6 वर्ष बाद प्रवाहित कर दें, चांदी का यंत्र 12 वर्ष, सोने का यंत्र 25 वर्ष फिर उसे प्रवाहित कर देते हैं। स्फटिक यंत्र पीढ़ी दर पीढ़ी चलता है, यह जितना ही पुराना होता है उतना ही अधिक प्रभावित होता है। सर्वश्रेष्ठ नीलमणि यंत्र होता है यह नीलम के अन्दर होता है। स्फटिक यंत्र आँखों को शीतलता देता है यह वजन में भारी होता है कांच का हल्का होता है। जो यंत्र ठंडा होता है, वह अच्छा होता

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बगलामुखी ब्रह्मास्त्र मंत्र

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं प्रत्यंगिरे मां रक्ष रक्ष मम शत्रून भंजय भंजय फे हुं फट् स्वाहा । ऊँ हटाकर ” हूम् ” लगाकर जप करे ॐ नमो भगवति चामुण्डे नरकंक गृधोलूक परिवार सहिते श्मशानप्रिये नररुधिरमांस चरु भोजन प्रिये ! सिद्ध विद्याधर वृन्द वंदित चरणे बृह्मेशविष्णु वरुण कुबेर भैरवी भैरव प्रिये इन्द्रक्रोध विनिर्गत शरीरे द्वादशादित्य चण्डप्रभे अस्थि मुण्ड कपाल मालाभरणे शीघ्रं दक्षिण दिशि आगच्छ आगच्छ, मानय मानय, नुद नुद, सर्व शत्रुणां मारय मारय, चूर्णय चूर्णय, आवेशय आवेशय, त्रुट त्रुट, त्रोटय त्रोटय, स्फुट स्फुट, स्फोटय स्फोटय, महाभूतान् जृम्भय जृम्भय, ब्रह्मराक्षसान उच्चाटय उच्चाटय, भूत प्रेत पिशाचान् मूर्च्छय मूर्च्छय, मम शत्रुन उच्चाटय उच्चाटय, शत्रून चूर्णय चूर्णय, सत्यं कथय कथय, वृक्षेभ्यः संन्नाशय संन्नाशय अर्क स्तंभय स्तंभय गरुड पक्षपातेन विषं निर्विषं कुरु कुरु, लीलांगालयवृक्षेभ्यः परिपातय परिपातय,

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माँ बगलामुखी के शाबर  मंत्र

माँ बगलामुखी के शाबर  मंत्र :- नीचे दिए गए शाबर  मंत्रो को प्रयोग करने से पहले गुरु आज्ञा लेना अत्यंत ही आवश्यक  है। शाबर सिद्ध करने की कुन्जी (फिर शाम को एक माले का हवन करें। गुगल तोड़ कर 108 टुकड़े गिनले घी में डुवो कर मंत्र के आगे स्वाहः बोल कर एक एक आहुति डालते हैं। घी में डुबोकर”) (रात्रि में शाबर करने से पहले इसकी एक माला जप कर दें।)मंत्र – “गुरु सठ गुरु सठ गुरु हे वीर गुरु साहिब सुमरो बड़ी भात सिंगी तोरो मन कहूं मन नाऊ करता सकल गुरु की हर भजे घटघट्टा पाकर उठ जाग चेत सम्हार श्री परमहंस की। मंत्र – “ॐ ग्राम ग्रीम ग्रुम (अमुक) दुष्टस्य मुखय स्तम्भय स्तम्भय जिव्हा कीलय कीलय

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मंत्र सिद्धी

माता बगलामुखि ज्ञान-विज्ञान की सीमा से परे, भाषा – जाति के बन्धन से मुक्त, ब्रह्माण्ड की ऐसी निरविशय, भूमा और महा विराट् चिन्मय शक्ति है, जो सदैव श्रद्धा-भक्ति और कर्म के वशीभूत होती है। इनके मंत्रों में अपार शक्ति छिपी है। मंत्र सिद्धि के लिए शास्त्रों में दो उपक्रम दिए हैं :- मंत्र – संस्कार मंत्र जप मंत्र संस्कार :- दस होते हैं, इन संस्कारों के बिना मंत्र अपनी शक्ति और सामर्थ्य नहीं प्राप्त कर सकता। 1. जनन संस्कार :- भोजपत्र पर गोरोचन, हल्दी के रस या पीले चन्दन से मातृका योनि बनावे, फिर ईशान कोण से मातृका वर्ण लिख कर पूर्ण करे व इस अंकित भोजपत्र को पीठ पर स्थापित कर के आवाहन-स्थापन व पंचोपचार विधि से बगलामुखि देवी

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भवान्मअष्टक

1. न तातो न माता न बन्धुर्न दाता,      न पुत्रो न पुत्री न भृत्यो न भर्ता।      न जाया न विद्या न वृत्तिर्ममेव,      गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानी॥ १॥ स्वाहा 2. भवाद्भक्तिहीनः पतितः प्रमत्तः,      प्रकामं प्रलोभं च न जाने विधत्तम्।      कु-संसार-पाशे भ्रमन् मोहमग्नः,      गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानी॥ २॥ स्वाहा 3. न जानामि दानं न च ध्यानयोगं,      न जानामि तन्त्रं न च स्तोत्रमन्त्रम्।      न जानामि पूजां न च न्यासयोगं,      गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानी॥ ३॥ स्वाहा 4. न जानामि पुण्यं न जानामि तीर्थं,      न जानामि मुक्तिं लयं वा कदाचित्।      न जानामि भक्तिं व्रतं वापि मातः,      गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानी॥ ४॥ स्वाहा 5. मार्गेऽस्मि कु-शिल्पी कु-बुद्धिः कु-दासः,      कुलाचारहीनः सदा चापराधी।      कुदृष्टिः कुवाक्यप्रबन्धोऽहमज्ञः,      गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानी॥ ५॥ स्वाहा 6. प्रजेशं रमेशं महेशं सुरेशं,      दिनेशं निशीथेश्वरं

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बगला हृदय मंत्र (अस्सी अक्षरी मंत्र)

“|| आं ह्ल्रीं क्रों ग्लौं हुँ ऐं क्लीं श्रीं ह्रीं बगलामुखि आवेशय आवेशय आं ह्ल्रीं क्रों ब्रह्मास्त्ररुपिणि एहि एहि आं ह्ल्रीं क्रों मम हृदये आवाहय आवाहय सान्निध्यं कुरु कुरु आं ह्ल्रीं क्रों ममैव हृदये चिरं तिष्ठ तिष्ठ आं ह्ल्रीं क्रों हुं फट् स्वाहा ||” यह मंत्र बड़ा ही विलक्षण है, इसके समरण मात्र से अभीष्ट से अभीष्ट कार्य संपंदित हो जाते है, उसके लिए आवयश्क है कि इस मंत्र का चालीस हजार जप कर हवन, तर्पण, मार्जिन कर मंत्र के माध्यम से हम लोग माँ की निकटता प्राप्त करने का इसे जागृत कर लिया जाय इस प्रत्यन करते है “ममैव हृदये चिरं तिष्ठ तिष्ठ” लगातार प्रयास से क्रमशः माँ की ज्योति हमारे हृदय में कुछ ना कुछ मात्रा में आ

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रूद्रायमल का बगला अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र

नोट – माँ की कृपा विविध होती है – स्तोत्र पाठ ह्रदय की करुण पुकार के रूप में अभिव्यक्त हो तो आध्यात्मिक शक्तियाँ अपनी कृपा प्रदान करती हैं और परामान शीतलशिवरूप द्रवित होती हैं।दुखों-व्याधियों के ह्रदय से करुण पुकार निकली हो तो। शीतला से यज्ञ कर, पाठ न करें कहा गया है – टंटा विघ्न फैलता। ना ही यह हमारा बारम्बार का अनुभव रहा है, बगला शतनाम स्तोत्र में अर्घ्यस्वरूप शक्तियाँ समाहित हुई हैं। || जय माँ बगलामुखी ||

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बगला अष्टोत्तर शतनाम : अर्चियामी

मैंने आध्यत्मिक जीवन में माँ की कृपा से अनुभव किया है कि 10 पाठ से अर्चियामी कर दे जिसमे किशमिश तथा पंचमेवे का प्रयोग करे और यह प्रसाद अपने लोगो मे बांट दे। इस माँ कि कृपा खूब बरसती है इसके और भी कई प्रयोग है जो कि अगले संस्करण में प्रकाशित होंगे। विधि सर्व प्रथम यंत्र के सामने यथा सामर्थ माँ की दक्षिणा पीले कपड़े में लपेट कर माँ को समर्पित कर यंत्र का पंचोपचार पूजन कर कार्यक्रम प्रारम्भ करे :- 1.ऊँ बगलाये नमः अर्चियामी । 2.ॐ विष्णु विनिताये नमः अर्चियामी । 3.ॐ विष्णु शंकर भामनी नमः अर्चियामी । 4.ऊँ बहुला नमः अर्चियामी । 5.ॐ वेदमाता नमः अर्चियामी । 6.ॐ महा विष्णु प्रसूरपि नमः अर्चियामी । 7.ॐ महा –

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रुद्रयामल का बगला अष्टोत्तर शतनाम स्त्रोत

– माँ की कृपा विचित्र होती है – स्त्रोत पाठ हृदय की कातर पुकार के रूप में अभिव्यक्त हो तो आध्यात्मिक शक्तियाँ अपनी कृपा प्रदान करती ही है और पराम्बा शीघ्रतिशीघ्र द्रवित होती है। दुःखी व्यक्ति के हृदय से कातर पुकार निकलती ही है। शीघ्रता से गा कर पाठ न करें कहा गया है – रटंत विद्या फलन्त ना ही। यहा हमारा बारम्बार का अनुभव रहा है, बगला शतनाम स्त्रोत में आश्चर्यजनक शक्ति समाई हुई है। 1. ब्रम्ह्मास्त्र रूपिणी देवी 2.माता बगलामुखी । 3.चिच्छक्तिर्ज्ञानरूपा 4.ब्रम्ह्मानन्द प्रदायिनी ।। 1 ।। 5.महाविद्या 6.महालक्ष्मी 7.श्री मत्रिपुरसुन्दरी । 8.भुवनेशी 9.जगन्माता 10.पार्वती 11.सर्वमंगला ॥ 2 ॥ 12.ललिता 13. भैरवी 14. शान्ता 15. अन्नपूर्णा 16. कुलेश्वरी । 17.वाराही 18.छिन्नमस्ता 19.तारा 20.काली 21.सरस्वती ।। 3 ।। 22.

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परविद्या भक्षणी व काला जिन्न

शास्त्रो में लिखा है यदि आप को आर्थिक मानसिक, शारीरिक हानि पहुचाने के उद्धेश से किसी स्वार्थी व्यक्ति द्वारा कोई अभिचारिक कर्म आप के विरूद्ध कराया हो तो भगवती बगला मुखी का यह प्रयोग अति उत्तम है। इस मंत्र की यह विशेषता है कि विरोधी द्वारा प्रयोग की गई विद्या का हरण कर, शमन कर देती है। यह विद्या 1 लाख जप से सिद्व होती है। जिसे 14 से 21 दिनों में पूर्ण कर लेते हैं। यदि यह प्रोग्राम ठीक चला तो 5 किलो मीटर तक कोई भी विद्या कार्य नही करेगी। यदि इस मंत्र के बाद विपरीत प्रत्यगिरा मंत्र लगा कर जाप करे तो वह गड़ंत को नष्ट कर देता है। हमने मूल मंत्र का सम्पुट लगा कर 1

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माँ बगलामुखी ध्यान

मंत्र जाप से पहले ध्यान का महत्व मंत्रो के पूर्व “ध्यान” लिखा रहता है, जिसे साधक एक बार पढ़ कर जप करने लगते है। लिखा भी रहता है ध्यान पूर्वक जप करे। अब प्रशन उठता है कैसे ध्यान पूर्वक जप करे मूलतः ध्यान संस्कृत भाषा में लिखा रहता है अतः बहुधा साधक उसके अर्थ ही नही समझते फिर ध्यान करने का प्रश्न ही नही उठता। बिना ध्यान के सिद्ध मंत्र भी गूंगा होता है उसमें मंत्र सिद्ध का कुछ भी प्रकाश रहता। “ध्यान” के अनुसार चिन्तन करते हुए मंत्र जप करते है। अभ्यास के दृढ़ होने पर ही निखिल पुरुषार्थ की सिद्धि होती है। श्री बगलामुखी का मुख्य ध्यान सौवर्णासन संस्थिता त्रिनयनां पितांशु कोल्लासिनी, हेमा भगं रुचिं शशांक मुकुटां सच्चम्पक

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शताक्षरी मंत्र का प्रयोग – यह शत्रु नाशक है

हमारा एक शिष्य जो अपने शत्रुओं से भयंकर रूप से पीड़ित था, शत्रु अति बलशाली व पैसों वाला था, उसके दस-दस ट्रक सड़कों पर दौड़ते थे और हमारा शिष्य इनके आगे कहीं टिक ही नहीं सकता तथा उसकी पत्नी से शत्रु के गुप्त सम्बन्ध थे, बस यहीं से शत्रुता जो प्रारम्भ हुई आज तक इनकी बरबादी का कारण बनी रही। शिष्य की सारी व्यथा सुनने के उपरान्त इन्हें दिशा-निर्देश दिया बगला शताक्षरी मंत्र के दस हजार जप का संकल्प लें, परन्तु दस हजार जप के उपरान्त कुछ नहीं हुआ। मेरा शिष्य काफी हताशा की स्थिति में आ गया था, मैने उसे ढाढस बंधाया व वास्तिविकता से परिचय कराया, ये कलियुग है, इसमें मंत्र का चार गुना जप करने के उपरान्त

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पीले पुष्प और जल

पीला रंग और उसका महत्व “पीला रंग” पृथ्वी का है व गति का कारण ही नहीं है वरन् जहाँ वह गति के अभाव में गति-प्रद है वही गति के आधिक्य में अवसादक है। एक शब्दों में कह सकते हैं कि पीत वर्ण गति का सर्वतोभावेन संयामक है। भगवति बगलामुखि का वर्ण भी पीला है अतः इन्हें पीताम्बरा भी पुकारते हैं। पीले रंग की यह प्रकृति ही बगलामुखी साधना में इसे विशेष बनाती है। यह रंग न केवल मानसिक शांति देता है, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा को भी संतुलित करता है। पीले रंग की वस्तुओं का पूजन में सम्मिलित होना साधना को प्रभावशाली बनाता है। ऐतिहासिक दृष्टांत – श्री शारदा माँ की घटना इस घटना में सबसे उल्लेखनीय बात यह थी कि

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बगला प्रत्यंगिरा कवच

(इस स्तोत्र का विधान रुद्रयामल में शिव पार्वती संवाद से उजागृत हुआ है) विनियोग:- ॐ अस्य श्री बगला प्रत्यंगिरा मंत्रस्य नारद ऋषिः स्त्रिष्टुपछन्दः प्रत्यंगिरा देवता ह्लीं बीजं हूँ शक्तिः ह्रीं कीलकं हलीं हलीं हलीं हलीं प्रत्यंगिरा मम शत्रु विनाशे विनियोगः | (हाथ मे लिये हुए जल को पृथ्वी पर डाल दे ) ॐ प्रत्यंगिरायै नमः प्रत्यंगिरे सकल कामान साधय मम रक्षां कुरु कुरु सर्वान खादय मारय मारय, घातय घातय ॐ ह्रीं फट स्वाहा | ॐ भ्रामरी स्तम्भिनी देवी क्षोभिणी मोहिनी तथा । संहारिणी द्राविणी च जृम्भणी रौद्ररूपिणी || इत्यष्टौ शक्तयो देवि शत्रु पक्षे नियोजताः | धारयेत कण्ठदेशे च सर्व शत्रु विनाशिनी || ॐ ह्रीं भ्रामरी सर्व शत्रून भ्रामय भ्रामय ॐ ह्रीं स्वाहा | ॐ ह्रीं स्तम्भिनी मम शत्रून स्तम्भय स्तम्भय

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ब्रम्हास्त्र बगला कवच

नोट:– पाठ से पूर्व बगला मूल मंत्र का 11 माला व बगला गायत्री का एक माला जप कर लें। बगला में शिरः पातु ललाटं ब्रह्म संस्तुता ।बगला में भवो नित्यं कर्णयोः क्लेश हारिणी ।। त्रिनेत्रा चक्षुषी पातु स्तम्भनी गण्डयो स्तथा ।मोहिनी नासिका पातु श्री देवी बगलामुखी । ओष्ठयो दुर्घरा पातु स्वदन्तेषु चच्चला।सिद्धान्न पूर्णा जिह्वायां जिह्वाग्रे शारदाम्बिका । । अकल्मषा मुखे पातु चिबुके बगलामुखी । घीरा में कण्ठदेशे तु कण्ठाग्रे काल कर्षिणी । शुद्ध स्वर्ण निभा पातु कण्ठ मध्ये तथाऽम्बिका ।कण्ठ मूले महाभोगा स्कन्धौ शत्रु विनासिनी । भुज में पातु सततं बगला सुस्मिता परा ।बगला में सदा पातु कूर्परे कमलोदवा । । बगलाऽम्बा प्रकोष्ठौ तु मणि बन्धे महाबला ।बगला श्री र्हस्तयोश्च कुरु कुल्ला कराङगुलिम || नखेषु वज्रहस्ता च हृदये ब्रह्म वादिनी

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पञ्जर स्तोत्रम्

श्री शिव उवाच विनियोगः अथ पञ्जर स्तोत्रम् ॐ अस्य श्रीमद् बगलामुखी पीताम्बरा पञ्जररूप स्तोत्र मन्त्रस्य भगवान नारद ऋषिः, अनुष्टुप छन्दः, जगद्वश्यकरी श्री पीताम्बरा बगलामुखी देवता, हल्लीं बीजं, स्वाहा शक्तिः, क्लीं कीलकं मम परसैन्य मन्त्र-तन्त्र- यन्त्रदि कृत्य क्षयार्थं श्री पीताम्बरा बगलामुखी देवता प्रीत्यर्थे च जपे विनियोगः । न्यास योनि मुद्रा से प्रणाम कर पंजर न्यास करे :- ऋष्यादि-न्यास भगवान नारद ऋषये नमः शिरसि । अनुष्टुप छन्दसे नमः मुखे। जगद्वश्यकरी श्री पीताम्बरा बगलामुखी देवतायै नमः हृदये। ह्ल्रीं बीजाय नमः दक्षिणस्तने । स्वाहा शक्तिये नमः वामस्तने । क्लीं कीलकाय नमः नाभौ । करन्यास त्वां अंगुष्ठाभ्यां नमः। हलीं तर्जनीभ्यां स्वाहा । हलूं मध्यमाभ्यां वषट् । अनामिकाभ्यां हूं। हलौं कनिष्ठिकाभ्यां वौषट् । हलं करतलकरपृष्ठाभ्यां फट् । अंगन्यास हां हृदयाय नमः | हलीं शिरसे स्वाहा ।

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बगलामुखी कल्प विधान

इसमें माँ बगलामुखी का सर्वांग पूजन आगे दी विधि के अनुसार करें। सर्वप्रथम 3 बार मूलमंत्र से प्राणायाम करें बाएं नथुने से धीरे-धीरे सांस खींच कर उसे तब तक रोके रहे जब तक छटपटाहट महसूस न होने लगे फिर इसे दांए नथुने से धीरे-धीरे बाहर छोडे पुनः दांए से खींच कर बाए नथुने से सांस छोड़ें यह एक प्राणायाम हुआ, इस प्रकार तीन बार कर, मूल मंत्र का 108 बार जाप कर, दिग्बन्धन के समय सम्बन्धित दिशा में चुटकी बजाए – दिग्बन्धन – ॐ ऐं ह्ल्रीं श्रीं श्यामा माँ पूर्वतः पातु । ॐ ऐं ह्ल्रीं श्रीं आग्नेय्यां पातु तारिणी ।। ॐ ऐं ह्ल्रीं श्रीं माहविद्या दक्षिणे तु । ॐ ऐं ह्ल्रीं श्रीं नैर्ऋत्यां षोडशी तथा ।। ॐ ऐं ह्ल्रीं श्रीं

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बगला गायत्री: माला की प्राण प्रतिष्ठा विधि

हल्दी की माला की प्राण प्रतिष्ठा विधि: प्रारंभिक तैयारी: पंचगव्य निर्माण विधि: उपरोक्त सभी को एक पात्र में मिलाकर अच्छी तरह से मिश्रण करें। फिर इस पंचगव्य में हल्दी की नई माला (या जिस माला को सिद्ध करना हो) डाल दें। मूल मंत्र जप: अब अपने दक्षिण हाथ की अंगुलियों से पात्र को ढककर निम्न मूल मंत्र का 108 बार जप करें: मूल मंत्र: ऊँ ह्ल्रीं बगलामुखि सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पंदं स्तम्भय जिह्वांम् कीलय बुद्धिं विनाशय ह्ल्रीं ऊँ स्वाहा । दूध में स्नान और अभिमंत्रण: अब उस माला को गाय के दूध में डालें और उसी मूलमंत्र से पुनः 108 बार जप करें। इसके बाद, गंगा जल से माला को धोएं — प्रत्येक बार धोते हुए 36 बार मूलमंत्र

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अकाल मृत्यु निवारण हेतु संपुटित मंत्र और हवन प्रयोग

प्रारंभिक संकट और मंत्र प्रयोग की आवश्यकता नवरात्रि के अंतिम दिन, व्रत समाप्त कर भोजन करने के पश्चात मेरे यजमान पर किसी दुष्ट ने तीव्र मारण प्रयोग कर दिया, जिससे उनका स्वास्थ्य एकाएक चिंताजनक हो गया। पहले उन्हें हार्ट की समस्या मानते हुए लारी द्वारा अस्पताल ले जाया गया, परन्तु जांच में स्पष्ट हुआ कि मामला हृदय का नहीं बल्कि ब्रेन का है। रात्रि 12 बजे उन्हें एक अस्पताल में भर्ती किया गया, जहाँ सी.टी. स्कैन से पता चला कि मस्तिष्क की नस फट गई है और क्लॉटिंग हो चुकी है। इस गंभीर सूचना के बारे में मुझे सुबह जानकारी मिली। ब्रेन हेमरेज का मामला प्रायः ईश्वर पर निर्भर होता है। मैंने बिना समय गंवाए भगवती पीताम्बरा के मूल मंत्र

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बगला गायत्री

“ॐ ह्ल्रीं ब्रह्मा अस्त्राय विद्महे स्तम्भन ।  वाणायै धीमहि तन्नो बगला प्रचोदयात्।।” महत्वपूर्ण निर्देश: जप से पूर्व 1 माला करें, जिससे जप में आने वाली विघ्नों से रक्षा होती है। तत्पश्चात् जप प्रारम्भ करें। मूल मंत्र: ॐ ह्ल्रीं बगलामुखि ! सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्ल्रीं ॐ स्वाहा । (नोट: ह्ल्रीं का उच्चारण “ह्ल्ी” किया जाए।) एक लक्ष जप के उपरान्त हवन करें, उसका दशांश तर्पण, मार्जन तथा ब्राह्मण भोज कराएं। हवन सामग्री (प्रारंभिक प्रयोग हेतु): सम्पुटित मंत्र की तीव्रता (स्वास्थ्य लाभ हेतु प्रयोग) मेरे परिचित की रात एकाएक स्वास्थ्य चिंताजनक हो गई। उन्हें बेहोशी की हालत में अस्पताल ले जाना पड़ा। इधर गुरुजी को फोन लगाया, उन्होंने महामृत्युंजय जप को बगलामुखि के मूल मंत्र

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आपका यह दान धर्म, भक्ति और सेवा के पवित्र कार्य में सहायक सिद्ध होगा। माँ बगलामुखी आपकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करें और आपको शक्ति, सफलता व सुरक्षा प्रदान करें।

🔱  जय माँ बगलामुखी  🔱