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Baglatd

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भवान्मअष्टक

1. न तातो न माता न बन्धुर्न दाता,  

   न पुत्रो न पुत्री न भृत्यो न भर्ता।  

   न जाया न विद्या न वृत्तिर्ममेव,  

   गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानी॥ १॥ स्वाहा

2. भवाद्भक्तिहीनः पतितः प्रमत्तः,  

   प्रकामं प्रलोभं च न जाने विधत्तम्।  

   कु-संसार-पाशे भ्रमन् मोहमग्नः,  

   गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानी॥ २॥ स्वाहा

3. न जानामि दानं न च ध्यानयोगं,  

   न जानामि तन्त्रं न च स्तोत्रमन्त्रम्।  

   न जानामि पूजां न च न्यासयोगं,  

   गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानी॥ ३॥ स्वाहा

4. न जानामि पुण्यं न जानामि तीर्थं,  

   न जानामि मुक्तिं लयं वा कदाचित्।  

   न जानामि भक्तिं व्रतं वापि मातः,  

   गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानी॥ ४॥ स्वाहा

5. मार्गेऽस्मि कु-शिल्पी कु-बुद्धिः कु-दासः,  

   कुलाचारहीनः सदा चापराधी।  

   कुदृष्टिः कुवाक्यप्रबन्धोऽहमज्ञः,  

   गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानी॥ ५॥ स्वाहा

6. प्रजेशं रमेशं महेशं सुरेशं,  

   दिनेशं निशीथेश्वरं वा न याचे।  

   न याचेऽहमन्यं सदाऽहं शरण्ये,  

   गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानी॥ ६॥ स्वाहा

7. विवादे विषादे प्रमादे प्रवासे,  

   जले चाऽनले पर्वते शत्रुमध्ये।  

   अरण्ये शरण्ये सदा मां प्रपाहि,  

   गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानी॥ ७॥ स्वाहा

8. अनाथो दरिद्रो जरा रोगयुक्तः,  

   महाक्षीणचिन्ता सदा जाड्यवक्त्रः।  

   विपत्तौ प्रविष्टः प्रलप्तुं न शक्तः,  

   गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानी॥ ८॥ स्वाहा

|| जय माँ बगलामुखी ||

टी.डी. सिंह जी

नवीनतम अनुभव

माँ बगलामुखी: न्याय, स्तम्भन और रहस्य की तांत्रिक देवी

✨ भूमिका भारतीय तांत्रिक परंपरा में दस महाविद्याओं का विशेष स्थान है। इन्हीं में से एक हैं माँ बगलामुखी – जिन्हें स्तम्भन, वाक्-विजय, शत्रु नाश, निर्णय बल और मौन की शक्ति की देवी माना जाता है।इन्हें पीताम्बरा, ब्रह्मास्त्र-विद्या की अधिष्ठात्री, और गूढ़ तांत्रिक सत्ता की स्वामिनी के रूप में पूजा जाता है। ✨ माँ बगलामुखी का उद्भव एवं स्वरूप ईश्वर की इच्छा से जब त्रिलोक में कलह और असंतुलन फैल गया, तब भगवान विष्णु ने पीले कमल पर तप किया। तपस्या से उत्पन्न ऊर्जा से प्रकट हुईं माँ बगलामुखी – जिनकी कांति स्वयं पीतवर्ण की थी।इसलिए उन्हें पीताम्बरा कहा गया। उनका प्रमुख मंत्र “ह्लीं” बीज से प्रारंभ होता है – जो स्तम्भन का मूल स्रोत है। बगला का अर्थ है

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बगला गायत्री

“ॐ ह्ल्रीं ब्रह्मा अस्त्राय विद्महे स्तम्भन ।  वाणायै धीमहि तन्नो बगला प्रचोदयात्।।” महत्वपूर्ण निर्देश: जप से पूर्व 1 माला करें, जिससे जप में आने वाली विघ्नों से रक्षा होती है। तत्पश्चात् जप प्रारम्भ करें। मूल मंत्र: ॐ ह्ल्रीं बगलामुखि ! सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्ल्रीं ॐ स्वाहा । (नोट: ह्ल्रीं का उच्चारण “ह्ल्ी” किया जाए।) एक लक्ष जप के उपरान्त हवन करें, उसका दशांश तर्पण, मार्जन तथा ब्राह्मण भोज कराएं। हवन सामग्री (प्रारंभिक प्रयोग हेतु): सम्पुटित मंत्र की तीव्रता (स्वास्थ्य लाभ हेतु प्रयोग) मेरे परिचित की रात एकाएक स्वास्थ्य चिंताजनक हो गई। उन्हें बेहोशी की हालत में अस्पताल ले जाना पड़ा। इधर गुरुजी को फोन लगाया, उन्होंने महामृत्युंजय जप को बगलामुखि के मूल मंत्र

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🔱  जय माँ बगलामुखी  🔱