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अकाल मृत्यु निवारण हेतु संपुटित मंत्र और हवन प्रयोग

प्रारंभिक संकट और मंत्र प्रयोग की आवश्यकता

नवरात्रि के अंतिम दिन, व्रत समाप्त कर भोजन करने के पश्चात मेरे यजमान पर किसी दुष्ट ने तीव्र मारण प्रयोग कर दिया, जिससे उनका स्वास्थ्य एकाएक चिंताजनक हो गया। पहले उन्हें हार्ट की समस्या मानते हुए लारी द्वारा अस्पताल ले जाया गया, परन्तु जांच में स्पष्ट हुआ कि मामला हृदय का नहीं बल्कि ब्रेन का है। रात्रि 12 बजे उन्हें एक अस्पताल में भर्ती किया गया, जहाँ सी.टी. स्कैन से पता चला कि मस्तिष्क की नस फट गई है और क्लॉटिंग हो चुकी है।

इस गंभीर सूचना के बारे में मुझे सुबह जानकारी मिली। ब्रेन हेमरेज का मामला प्रायः ईश्वर पर निर्भर होता है। मैंने बिना समय गंवाए भगवती पीताम्बरा के मूल मंत्र से महामृत्युंजय मंत्र को संपुटित कर, मानसिक जप का 10,000 मंत्रों का संकल्प लेकर जप आरंभ कर दिया। जप की गति तीव्र से तीव्रतर होती गई, लेकिन मेरी बाईं आंख लगातार फड़कती रही, जिससे भय बढ़ने लगा। मैंने भगवती से गहन प्रार्थना की कि मेरी साधना निष्फल न हो।

तीन बजे रात्रि में दाहिनी आंख फड़कने लगी, जिससे विश्वास जागा कि माँ ने मेरी पुकार सुन ली है। अगली सुबह केवल एक माला का जप कर उसे विराम दिया और दोपहर में अस्पताल जाकर देखा तो मरीज होश में थे। यद्यपि वे अस्पष्ट बोल रहे थे, परन्तु चेतना लौट रही थी। उसी रात पुनः जप जारी रखा।

ऑपरेशन और मानसिक जप की पूर्णता

तीसरे दिन मरीज का ऑपरेशन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। मानसिक जप भी लगातार चलता रहा और अंततः 10,000 मंत्रों का संकल्प पूर्ण हुआ। छठे दिन मरीज की स्थिति फिर बिगड़ने लगी, तब मैंने हवन की व्यवस्था की और अपने शिष्य राम चंद्र यादव को बुद्धेश्वर मंदिर, लखनऊ बुलाया।

संकल्प (हवन से पूर्व):

ॐ तत्सत् परमात्मन आज्ञाया प्रवर्त्मनास्य 2072 संवत्सरस्य श्री श्वेत-वराह-कल्पे जम्बू द्वीपे भरत-खण्डे उत्तर प्रदेशे लखनऊ नगरे बुद्धेश्वर मंदिर स्थिते वैशाखामासे, कृष्ण पक्षे, चतुर्थी तिथे, बुद्ध वासरे कश्यप गोत्रोत्पन्न तपेश्वरी दयाल सिंह कारित कृत्या प्रयोगम मन्त्र-यंत्र-तंत्र कृत प्रयोग विनाशार्थे आरोग्य प्राप्तार्थे भगवती अमृतेश्वरी स्वरूप बगलामुखी प्रसाद सिद्धि द्वारा मम यजमानस्य दूध नाथ मिश्र आरोग्य प्राप्तार्थे हवन अहम् कुर्वे।

हवन विधि और मंत्र क्रम:

  1. महामृत्युंजय मंत्र – 5 माला
  2. अमृतेश्वरी मंत्र – 1 माला
    मंत्र: ओं श्रीं ह्रीं मृत्युंज्जये भगवती चैतन्य चंद्रे हंस संजीवनी स्वाहा ।
  3. भवान्य अष्टक – 1 पाठ (प्रत्येक श्लोक के बाद आहुति)
  4. माँ बगलामुखी मूल मंत्र – 5 माला

हवन का उलटा क्रम:

  1. माँ बगलामुखी मूल मंत्र – 5 माला
  2. भवान्य अष्टक – 1 पाठ
  3. अमृतेश्वरी मंत्र – 1 माला
  4. महामृत्युंजय मंत्र – 5 माला

हवन व्यवस्था:

  • घी का दीपक हवन के सामने जलता रहे
  • गंगाजल से भरा कलश पास में रखा जाए

हवन सामग्री (पूर्ण विवरण):

  • पीली सरसों – 500 ग्राम
  • राई – 500 ग्राम
  • लाजा – 500 ग्राम
  • वालछड़ – 100 ग्राम
  • काली मिर्च – 100 ग्राम
  • बूरा – 500 ग्राम
  • शहद – 200 ग्राम
  • हल्दी – 500 ग्राम
  • लौंग – ₹5 की मात्रा
  • इलायची (छोटी) – ₹5 की मात्रा
  • टाइट खीर – 100 ग्राम
  • सफेद तिल – 500 ग्राम
  • समिधा – गूलर और आम की लकड़ी
  • देसी घी – आवश्यकतानुसार

(लाजा व लौंग इधर-उधर के बवालों को काट देती है, पाठ के अंत में खीर की आहुति दी गई।)

परिणाम:

हवन के पश्चात् यजमान ने स्वयं के मुख से भोजन करना प्रारंभ कर दिया तथा सामान्य कार्यों में गतिशील हो गए। हालांकि धाराप्रवाहित उच्चारण में अभी थोड़ा प्रयास करना पड़ता है, किंतु माँ बगलामुखी की कृपा से जीवन रक्षा संभव हुई।

|| जय माँ बगलामुखी ||

टी.डी. सिंह जी

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🔱  जय माँ बगलामुखी  🔱