जहाँ भौतिक विज्ञान समाप्त होता है, वहीं से आध्यात्म विज्ञान का क्षेत्र प्रारम्भ होता है। हम देखते हैं तमामों मंत्र जप के बाद भी सफलता नहीं मिलती, साधक का मन टूट जाता है व तंत्र विज्ञान से उसका मन विचलित होने लगता है, उसका धैर्य भी डगमगाने लगता है।
मंत्र जप में मन का एकाग्र होना क्यों ज़रूरी है?
केवल माला फेरने से कार्य सिद्ध नहीं होता, जब तक कि मन पूरी तरह से एकाग्र न हो। प्रारम्भ में मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ था, जप चल रहा है और मन दुनिया की गणित में विचरण करता रहा। ऐसे में सफलता की संभावना नगण्य हो जाती है।
अपने प्रारब्ध को सुधारें
सफलता प्राप्त करने की दूसरी प्रमुख विधि यह है कि अपने प्रारब्ध को ठीक करें। श्रीमद् गीता में श्री कृष्ण जी ने स्पष्ट कहा है कि अनेकों जन्मों के कार्यों से प्रारब्ध का निर्माण होता है, जिसे भोगना ही पड़ता है। यदि पिछले जन्मों में हमसे कुछ बुरे कार्य हो गये हैं तो उसे ठीक करने में माँ भगवती पीताम्बरा के गायत्री मंत्र का जप पूर्णरूपेण सक्षम है।
कहा भी गया है कि बिना गायत्री संध्या के शिवा स्वरूपा भगवती पीताम्बरा बगला श्रेष्ठ फल प्रदान नहीं करतीं, कारण चाहे कुछ भी हो।
प्रारब्ध और सफलता के बीच संबंध
जब तक हम अपने प्रारब्ध को नहीं सुधारते, तब तक मंत्रों के उपयोग से सफलता प्राप्त करना कठिन होता है। जैसा कि मैंने अक्टूबर 2016 में प्रकाशित अपने लेख “संतान प्राप्त हेतु” में भी बगला गायत्री के जप का विधान साझा किया था।
एक प्रेरक अनुभव
एक बार मैं किसी कार्यवश एक सज्जन के साथ उनकी मोटर साइकिल पर पीछे बैठा जा रहा था। सामने एक कार चल रही थी। अचानक कार वाले ने ब्रेक लगाया। मोटर साइकिल चालक ब्रेक न लगाकर कार को काटकर आगे बढ़ाना चाहा, परन्तु मोटर साइकिल कार से टकरा गई। कार का पिछला हिस्सा टूट गया, लेकिन हम दोनों सकुशल रहे।
कार शोरूम में जाकर पता चला कि ₹15,000 में मरम्मत होगी। मैंने ₹10,000 देने की पेशकश की जिसे कार मालिक ने स्वीकार कर लिया। इस पूरी घटना पर विचार करने पर यह स्पष्ट होता है कि मेरे प्रारब्ध में दुर्घटना निश्चित थी, परन्तु भगवती ने उसे सूक्ष्म कर दिया।
यदि मोटर साइकिल थोड़ा और कार से कटकर निकलती, तो हमारे घुटने बुरी तरह घायल हो सकते थे। इसके इलाज में लाखों रुपये खर्च होते और भारी शारीरिक कष्ट भी होता।
नित्य जप का प्रभाव
यह सब इसलिए संभव हुआ क्योंकि मैं प्रतिदिन भगवती के गायत्री मंत्र का 10 माला जप करता हूं। इसलिए मैं भगवती के सभी साधकों से बारम्बार अनुरोध करता हूँ कि नित्य बगला गायत्री का जप अवश्य करें और अपने बुरे प्रारब्ध से सुरक्षित रहें।
बगला गायत्री हवन सामग्री:
- पिसी हल्दी: 1 किलो
- मालकांगनी: 500 ग्राम
- पीली सरसों: 500 ग्राम
- गुग्गुल: 200 ग्राम
- सुनहरी हड़ताल: 100 ग्राम
- लौंग: 20 ग्राम
- छोटी इलायची: 10 ग्राम
- सेंधा नमक: 10 ग्राम
- हवन सामग्री पैकेट: 1 किलो
- देशी घी: 500 ग्राम
नोट: जप रुद्राक्ष की माला से करें।
|| जय माँ बगलामुखी ||