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यंत्र की महत्ता व उसके शक्ति वर्धन के उपाए

(श्रीपादं (Shree Baglamukhi Yantra)

माँ बगलामुखी महायंत्र :

सिद्ध की हुई माला से जो जप किया जाता है वह शीघ्र ही फलीभूत होता है। बिना प्राण प्रतिष्ठा के यंत्र शक्ति विहीन ही रहता है। यंत्र की क्षमता तांबे व पीतल के यंत्र 6 वर्ष बाद प्रवाहित कर दें, चांदी का यंत्र 12 वर्ष, सोने का यंत्र 25 वर्ष फिर उसे प्रवाहित कर देते हैं। स्फटिक यंत्र पीढ़ी दर पीढ़ी चलता है, यह जितना ही पुराना होता है उतना ही अधिक प्रभावित होता है। सर्वश्रेष्ठ नीलमणि यंत्र होता है यह नीलम के अन्दर होता है।

स्फटिक यंत्र आँखों को शीतलता देता है यह वजन में भारी होता है कांच का हल्का होता है। जो यंत्र ठंडा होता है, वह अच्छा होता है। यंत्र चमकदार होना अच्छा है। यंत्र को संतरे के रस से स्नान करा कर रगड़ दें चमकदार हो जाता है। जितना ही स्नान करायेगें व श्रृद्धा करेंगेयंत्र में उतनी ही शक्ति बढ़ती जाती है। श्री यंत्र की विशेषता है आसन पर बैठते ही एनर्जी देता है। माँ बगलामुखि का पीतल का यंत्र ठीक रहता है। इसे दूध मे केसर मिला कर स्नान कराए, कभी मौसम के फलों के जूस से स्नान कराए जो समृद्धि देते हैं।

“गन्ने के रस द्वारा यंत्र का स्नान रोग नाश व पैसा देता है।

शहद का स्नान परिवार में मिठास पैदा करता है।

अंगूर का रस व दूध आर्थिक, मानसिक शान्ति देता है।

बेल का रस – आर्थिक बहुत मदद देता है।”

यंत्र पर बेल से मले फिर गन्ने के रस, दूध फिर दही से फिर गंगा जल से स्नान करा दें, इससे यंत्र की शक्ति बढ़ती है, इस स्नान से पूरे जाड़े भर यंत्र की शक्ति बनी रहती है। यन्त्र की शक्ति बढ़ाना अपने हाथ में है नित्य यंत्र को स्नान कराए व उसके समक्ष दीपक जला कर एकाग्रचित्र होकर भवगति का ध्यान करते हुए जप करें ऐसा निरन्त अभ्यास से यंत्र में इतनी अधिक शक्ति आ जाती है कि कितना ही तेज तंत्र विधान किया गया हो उसे बिना कहे स्वयं ही नष्ट कर देता है। एक साहब को भगवती बगलामुखि का यंत्र प्राण प्रतिष्ठा करा कर उनसे मूलमंत्र का जप दीपक जला कर करने को बताया अभी जप करते 6 माह भी नहीं बीते थे, रात 2 बजे उसकी बहन के पेट में बड़ा भयानक दर्द उठा, उनकी कुछ समझ में नहीं आया, क्या करें? हड़बड़ी में अपने साधना कक्ष में यंत्र के सामने रखे लौटे के जल से अपनी बहन के ऊपर कुछ छींटे मारे व थोड़ा उसके मुंह में भी डाल दिया। जल के छीटे पड़ते ही दर्द समाप्त हो गया और उसकी बहन आराम से सो गई।

दूसरे दिन जानकार लोगों से रात के घटना चक्र के बारे में पूछा तो ज्ञात हुआ कि किसी सिफली का प्रयोग किया था। यह बता दें कि मुस्लिम तंत्र में जान से मारने हेतु सिफली का प्रयोग किया जाता है। सिफली आनन-फानन में जान ले लेती है परन्तु आप के यंत्र के सम्मुख रखे जल की यह महिमा है कि बिना कोई मंत्र पढ़े उसने सिफली तंत्र को तुरन्त नष्ट कर दिया । मंत्र की महिमा देख कर तो मैं अनवरत भगवति बगलामुखि को कोटि कोटि धन्यवाद देता रहता हूँ।

यंत्र स्नान

एक प्लेट में फूल या रूई रखकर यंत्र का सिरहाना ऊँचा रखें अब इस पर शंख या लोटे से जल डालते जाए व निम्न मंत्र पढ़ते रहें –

ॐ हिरण्यवर्णा हरिणी सुवर्ण रजतस्त्रजाम् चन्द्रां हिरण्यमयी लक्ष्मीं जातवेदो म आवह | आगच्छेह, महादेवी सर्व सम्पत प्रदायिनी यावत् कर्म समाप्येत तावस्तं सनि धौ भव ।

ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय, ऊँ नमो भगवते……5 बार पढ़े। अब यंत्र को रूई या तौलिये से साफ कर, अच्छे से पोछ दे, भावना प्रधान रखे कि मैं माँ को स्नान करा रहा हूँ पूरे भाव से धीरे- धीरे जल डालें, भाव से ही यंत्र पोछे, बड़े ही रोमान्च का अनुभव करेंगे। अब यंत्र पोछ कर उस पर घी या कडुवे तेल का लेपन कर उस पर हल्दी अंगुली से लगा दें साथ ही कुमकुम से टीका कर दें। स्नान के जल को ग्रहण करें या किसी पौधे में डाल दें।

यंत्र की और शक्ति बढ़ाना है ता अर्चयामि कर दें। अर्चयामि का महत्व एक छोटे हवन के बराबर ही होता है। अर्चयामि चाहे जब करें, सुबह-दोपहर-शाम । अर्चयामि में यंत्र के सम्मुख एक छोटी प्लेट रख लें, उसमें यंत्र पढ़ते हुए पुष्प की एक-एक पंखुड़ी डालते रहे या चावल हल्दी में रंग कर डाले वैसे मैं किशमिश से अर्चयामि करता हूँ। अर्चयामि की हुई इस किशमिश में भी गजब की शक्ति होती है। एक दृष्टांत बताता हूँ। यह किशमिश मैं अपनी जेब में रख लेता हूँ कुछ : स्वयं ही खा लेता हूँ। एक बार मैं मरीज को देखने अस्पताल गया, मरीज की हालत काफी खराब थी, उसमें सुधार नहीं हो पा रहा था, मरीज को देखते ही मन में विचार उठा कि क्यों न इसे किशमिश दे दूं। अतः उसकी पत्नी को दो किशमिश दे दी कि इसे खिला देना, कुछ देर वहाँ रूक कर मैं अस्पताल से नीचे उतरा ही था कि उसकी पत्नी हाँफती हुई मेरे पास आई कि वह किशमिश कहीं खो गई है। मिल नहीं रही है, मैने उसे ढांढस दिलाया कोई बात नहीं मैं दूसरी किशमिश दे देता हूँ जेब में हाथ डाला केवल एक ही किशमिश निकली, मैने कहा तुरन्त इसे खिला देना और वह वापस चली गई। एक सप्ताह बाद उस महिला से मेरी भेंट हुई, मरीज का हाल पूछा। उस महिला ने बताया जब से उस किशमिश को खाया है हालात बहुत तेजी से सुधरने लगे, दूसरे ही दिन डाक्टर ने अस्पताल से छुट्टी दे दी अब वह एकदम स्वथ्य हैं। मैंने मन ही मन अपनी भगवति पीताम्बरा माँ को धन्यवाद दिया। 

|| जय माँ बगलामुखी ||

टी.डी. सिंह जी

नवीनतम अनुभव

बगलामुखी मूल मंत्र – साधना, अनुशासन और अनुभव

ॐ ह्ल्रीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्ल्रीं ॐ स्वाहा । “क्रम दीक्षा के अनुसार एकाक्षरी, चतुरक्षर, अष्टाक्षर मंत्र जप के बाद पश्चात् ही मूल मंत्र का जप करें, सीधे मूल मंत्र का जप न करें, क्यों कि बालू पर उठाई गई दीवार अधिक दिन टिक नहीं पाएगी, अतः नींव मजबूत करनी ही पड़ेगी।” साधना अनुशासन इनकी साधना में अत्यन्त आवश्यक है क्योंकि ये दुधारी तलवार है, अतः थोड़ी भी चूक का परिणाम भुगतना ही पड़ता है। एक दृष्टांत: हम और एक पंडित जी ने बगला जप प्रारम्भ किया। तीसरे दिन मेरे दवाखाने में एक अत्यन्त सुन्दर स्त्री आई, उसके बाएं स्तन में गिल्टी थी। पहले तो मैं टाल रहा था, परन्तु उसके बार-बार आग्रह

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भवान्मअष्टक

1. न तातो न माता न बन्धुर्न दाता,      न पुत्रो न पुत्री न भृत्यो न भर्ता।      न जाया न विद्या न वृत्तिर्ममेव,      गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानी॥ १॥ स्वाहा 2. भवाद्भक्तिहीनः पतितः प्रमत्तः,      प्रकामं प्रलोभं च न जाने विधत्तम्।      कु-संसार-पाशे भ्रमन् मोहमग्नः,      गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानी॥ २॥ स्वाहा 3. न जानामि दानं न च ध्यानयोगं,      न जानामि तन्त्रं न च स्तोत्रमन्त्रम्।      न जानामि पूजां न च न्यासयोगं,      गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानी॥ ३॥ स्वाहा 4. न जानामि पुण्यं न जानामि तीर्थं,      न जानामि मुक्तिं लयं वा कदाचित्।      न जानामि भक्तिं व्रतं वापि मातः,      गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानी॥ ४॥ स्वाहा 5. मार्गेऽस्मि कु-शिल्पी कु-बुद्धिः कु-दासः,      कुलाचारहीनः सदा चापराधी।      कुदृष्टिः कुवाक्यप्रबन्धोऽहमज्ञः,      गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानी॥ ५॥ स्वाहा 6. प्रजेशं रमेशं महेशं सुरेशं,      दिनेशं निशीथेश्वरं

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🔱  जय माँ बगलामुखी  🔱