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माँ बगलामुखी: न्याय, स्तम्भन और रहस्य की तांत्रिक देवी

भूमिका

भारतीय तांत्रिक परंपरा में दस महाविद्याओं का विशेष स्थान है। इन्हीं में से एक हैं माँ बगलामुखी – जिन्हें स्तम्भन, वाक्-विजय, शत्रु नाश, निर्णय बल और मौन की शक्ति की देवी माना जाता है।
इन्हें पीताम्बरा, ब्रह्मास्त्र-विद्या की अधिष्ठात्री, और गूढ़ तांत्रिक सत्ता की स्वामिनी के रूप में पूजा जाता है।

माँ बगलामुखी का उद्भव एवं स्वरूप

ईश्वर की इच्छा से जब त्रिलोक में कलह और असंतुलन फैल गया, तब भगवान विष्णु ने पीले कमल पर तप किया। तपस्या से उत्पन्न ऊर्जा से प्रकट हुईं माँ बगलामुखी – जिनकी कांति स्वयं पीतवर्ण की थी।
इसलिए उन्हें पीताम्बरा कहा गया। उनका प्रमुख मंत्र “ह्लीं” बीज से प्रारंभ होता है – जो स्तम्भन का मूल स्रोत है।

बगला का अर्थ है – रोक देना।
मुखी का अर्थ है – शक्ति का केंद्र।
अर्थात: जो शत्रु की वाणी, बुद्धि और गति को रोक दें।

✨ प्रमुख विशेषताएँ

  1. दस महाविद्याओं में आठवां स्थान – माँ बगलामुखी महाविद्याओं की श्रृंखला में आठवें स्थान पर आती हैं।
  2. रूप – पीले वस्त्र, पीले पुष्प, पीले आसन, पीली आभा से युक्त।
  3. हाथों में शत्रु की जिह्वा को पकड़े हुए मुद्रा – यह दर्शाता है कि देवी शत्रु की वाणी और बुद्धि पर नियंत्रण रखती हैं।

शक्ति का रहस्य: तीन स्तर की क्रिया

  1. शारीरिक स्तर – रोग, भय, संकट से रक्षा
  2. भौतिक स्तर – धन, मान, व्यापार में वृद्धि और सफलता
  3. आध्यात्मिक स्तर – साधक को समाधि, वाक्-सिद्धि, मंत्र-सिद्धि की प्राप्ति।

क्यों करें माँ बगलामुखी की साधना?

  • जब कोई शत्रु छिपकर नुकसान पहुँचा रहा हो
  • कोर्ट-कचहरी, कानूनी मामलों में विजय चाहिए
  • वाणी पर नियंत्रण और भाषण कला में सिद्धि चाहिए
  • परिवारिक या सामाजिक विवाद सुलझाना हो
  • मानसिक तनाव से मुक्ति चाहिए

इनकी साधना से आपकी ‘जीवन की युद्धभूमि’ में स्थिरता और विजय का मार्ग प्रशस्त होता है।

देवी की तीन शक्तियाँ – स्तम्भन, मोहन, उच्चाटन

शक्तिकार्य
स्तम्भनशत्रु की वाणी और बुद्धि को रोक देती हैं
मोहनशत्रु को भ्रमित कर देती हैं, अपना पक्ष मजबूत करती हैं
उच्चाटननकारात्मक शक्तियों, बाधाओं को दूर कर देती हैं

साधना विधियाँ

  1. समय: मंगलवार, गुरुवार या अमावस्या की रात्रि श्रेष्ठ मानी जाती है |
  2. वस्त्र: पीला वस्त्र, पीला आसन, पीले पुष्प |
  3. मंत्र:

ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा।”

  1. उपकरण: हल्दी माला, पीत पुष्प, हवन सामग्री
  2. स्थान: एकांत स्थान, पीले वस्त्र से ढँका पूजा स्थान

शास्त्रों में माँ बगलामुखी का स्थान

तंत्रसार, सौंदर्यलहरी, ब्रह्मयामल, रुद्रयामल जैसे ग्रंथों में इनकी स्तुति और साधना पद्धतियाँ उल्लिखित हैं।
विशेषकर “सांध्यायन तंत्र” में इनकी स्तुति का यह अंश मिलता है:

“स्व-विचार-दीप्तिनी विद्या, स्व-मन्त्र-फल-वारिका।
शत्रु-संहार-कारिणी, पर-कीर्ति-निवारिणी॥”

यह सिद्धियाँ साधक को शत्रु से सुरक्षा, वाणी पर विजय और आत्मबल देती हैं।

अद्भुत लाभ

  • वाक्-सिद्धि और निर्णय शक्ति का विकास
  • कोर्ट केस, झगड़े, विरोधों में विजय
  • भाषण, राजनीति, मीडिया में प्रभाव
  • शत्रुओं का स्वतः हट जाना
  • साधक का आत्मबल और आत्मविश्वास कई गुना बढ़ना

माँ का एक नाम – करालात्वरा-विद्या

यह विद्या शत्रु की वाणी, सोच और योजना को वहीं रोक देती है।
यह शक्ति शुद्ध है, क्रूर नहीं। यह तभी काम करती है जब किसी पर अन्याय हो रहा हो।

निष्कर्ष: माँ बगलामुखी का आह्वान क्यों करें?

माँ बगलामुखी वह शक्ति हैं जो न्याय, मौन और निर्णय की देवी हैं।
इनकी साधना से हम:

  • अपने विचारों को स्थिर कर सकते हैं
  • वाणी पर संयम ला सकते हैं
  • शत्रुओं से रक्षा पा सकते हैं
  • और आत्मबल से भरपूर बन सकते हैं

✨ अन्तिम प्रार्थना

“ॐ ह्ल्रीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय।
जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्ल्रीं ॐ स्वाहा॥”

चलिए माँ बगलामुखी की कृपा से हम अपने जीवन की हर बाधा, अन्याय और भ्रम को समाप्त करें और स्थिरता, न्याय और आत्मबल से जीवन को संवारें।


|| जय माँ पीताम्बरा ||

टी.डी. सिंह जी

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🔱  जय माँ बगलामुखी  🔱