SoftBrownModernRipInstagramPost12-ezgif.com-resize
Loading ...

Baglatd

Edit Content

मंत्र सिद्धी

माता बगलामुखि ज्ञान-विज्ञान की सीमा से परे, भाषा – जाति के बन्धन से मुक्त, ब्रह्माण्ड की ऐसी निरविशय, भूमा और महा विराट् चिन्मय शक्ति है, जो सदैव श्रद्धा-भक्ति और कर्म के वशीभूत होती है। इनके मंत्रों में अपार शक्ति छिपी है।

मंत्र सिद्धि के लिए शास्त्रों में दो उपक्रम दिए हैं :-

मंत्र – संस्कार

मंत्र जप

मंत्र संस्कार :- दस होते हैं, इन संस्कारों के बिना मंत्र अपनी शक्ति और सामर्थ्य नहीं प्राप्त कर सकता।

1. जनन संस्कार :- भोजपत्र पर गोरोचन, हल्दी के रस या पीले चन्दन से मातृका योनि बनावे, फिर ईशान कोण से मातृका वर्ण लिख कर पूर्ण करे व इस अंकित भोजपत्र को पीठ पर स्थापित कर के आवाहन-स्थापन व पंचोपचार विधि से बगलामुखि देवी की पूजा-अर्चना करें, दीप इत्यादि जलाए फिर एक खाली भोजपत्र के चौकोर टुकड़े पर बगलामुखि मंत्र के एक-एक वर्ण को मातृका योनि से उतारे, ऐसा करने से जनन संस्कार होता है, फिर उस भोजपत्र से देख कर 1008 बार मंत्र जप करें बाद में पूजा घर में ऊँचा चिपका दें या पूर्वी दीवाल पर लटका दें जहाँ पूजा करते समय दृष्टि जाती रहे।

2. दीपन संस्कार :- हंसः ॐ ह्ल्रीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय् जिह्वां कीलय बुद्धि विनाशय ह्ल्रीं ॐ स्वाहा। 1000 बार जपे यह मन्त्र को उद्दीप्त करता है।

3. बोघन संस्कार :- 5000 बार जपने से होता है। हुं ऊँ ह्ल्रीं  बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वा कीलय बुद्धि विनाशय हूं ॐ स्वाहा हूं।

4. ताडन संस्कार :- मंत्र के आगे-पीछे फट् लगा कर 1000 बार जपे । फट् ऊँ हलीं बगलामुखि ——– इं ॐ स्वाहा फट् ।

5. अभिषेक संस्कार :- हल्दी चन्दन से भोजपत्र पर मूलमंत्र को लिखें रां हं सः ऊँ व्याहतियो से गंगाजल को एक हजार बार अभिमंत्रित करें। उस जल को पीपल के पत्ते से पीतल की थाली में

रखे

हु (भोज पत्रांकित) मंत्र पर 36 बार डाले फिर मूल मंत्र को एक हजार बार जप करें।

6. विमली करण :- एक हजार बार निम्नमंत्र का जप करें-

ॐ त्रों वषट् ॐ हलीं बगलामुखि हलीं ॐ स्वाहा वषट् त्रों ॐ।

7. जीवन संस्कार एक हजार बार जप करें-

स्वघा वषट् ॐ हलीं बगलामुखि ——– हलीं ॐ स्वाहा वषट् स्वघा ।

8. तर्पण संस्कार :- दूध, घी व जल के मिश्रण से मूलमंत्र को जपते हुए कुश हाथ में लेकर देवतीर्थ से ” तर्पयामि ” लगा कर सौ बार तर्पण करें।

9. आप्यायन संस्कार : ह्रौं बीज लगा कर मूलमंत्र को एक हजार बार जप करें व बीच में मंत्र वर्णों की संख्या के बराबर अर्थात् 36 बार आप्यायित नमः पद कहकर जल देने से यह संस्कार पूर्ण होता है।

10. गोपन संस्कार :- मूल मंत्र में ह्रीं लगाकर एक हजार बार जपे । इस संस्कार को जपने से पूर्व सदैव के लिए मंत्र को गुप्त रखने का संकल्प भी लेना होता है।

विशेष इन दस संस्कार को करके, इन समस्त जपों के दशांश के बराबर हवन और उसके भी दशांश के बराबर मार्जन तथा उस मार्जन के दशांश के बराबर तर्पण तथा तर्पण के दशांश ब्रह्मण भोज कराया जाता है।

है।

इस प्रक्रिया से साधक को मंत्र सिद्धि मिल जाती है, जो साधक को यथेष्ट फलदायी सिद्ध होती

हवन : शुद्ध घी द्वारा करें।

मातृका योनि

भोजपत्र पर आत्म विमुख त्रिकोण बनाए, फिर उस त्रिकोण में छः-छः समान रेखाएं खींच कर 49 त्रिकोणों में विभक्त कर लेते हैं, इस प्रकार मातृका योनि बनती है। फिर उसमें ईशान कोण ‘मातृका वर्ण लिख कर पूर्ण करें।

|| जय माँ बगलामुखी ||

टी.डी. सिंह जी

नवीनतम अनुभव

बगला हृदय मंत्र (अस्सी अक्षरी मंत्र)

“|| आं ह्ल्रीं क्रों ग्लौं हुँ ऐं क्लीं श्रीं ह्रीं बगलामुखि आवेशय आवेशय आं ह्ल्रीं क्रों ब्रह्मास्त्ररुपिणि एहि एहि आं ह्ल्रीं क्रों मम हृदये आवाहय आवाहय सान्निध्यं कुरु कुरु आं ह्ल्रीं क्रों ममैव हृदये चिरं तिष्ठ तिष्ठ आं ह्ल्रीं क्रों हुं फट् स्वाहा ||” यह मंत्र बड़ा ही विलक्षण है, इसके समरण मात्र से अभीष्ट से अभीष्ट कार्य संपंदित हो जाते है, उसके लिए आवयश्क है कि इस मंत्र का चालीस हजार जप कर हवन, तर्पण, मार्जिन कर मंत्र के माध्यम से हम लोग माँ की निकटता प्राप्त करने का इसे जागृत कर लिया जाय इस प्रत्यन करते है “ममैव हृदये चिरं तिष्ठ तिष्ठ” लगातार प्रयास से क्रमशः माँ की ज्योति हमारे हृदय में कुछ ना कुछ मात्रा में आ

और पढ़ें

ब्रम्हास्त्र बगला कवच

नोट:– पाठ से पूर्व बगला मूल मंत्र का 11 माला व बगला गायत्री का एक माला जप कर लें। बगला में शिरः पातु ललाटं ब्रह्म संस्तुता ।बगला में भवो नित्यं कर्णयोः क्लेश हारिणी ।। त्रिनेत्रा चक्षुषी पातु स्तम्भनी गण्डयो स्तथा ।मोहिनी नासिका पातु श्री देवी बगलामुखी । ओष्ठयो दुर्घरा पातु स्वदन्तेषु चच्चला।सिद्धान्न पूर्णा जिह्वायां जिह्वाग्रे शारदाम्बिका । । अकल्मषा मुखे पातु चिबुके बगलामुखी । घीरा में कण्ठदेशे तु कण्ठाग्रे काल कर्षिणी । शुद्ध स्वर्ण निभा पातु कण्ठ मध्ये तथाऽम्बिका ।कण्ठ मूले महाभोगा स्कन्धौ शत्रु विनासिनी । भुज में पातु सततं बगला सुस्मिता परा ।बगला में सदा पातु कूर्परे कमलोदवा । । बगलाऽम्बा प्रकोष्ठौ तु मणि बन्धे महाबला ।बगला श्री र्हस्तयोश्च कुरु कुल्ला कराङगुलिम || नखेषु वज्रहस्ता च हृदये ब्रह्म वादिनी

और पढ़ें

माँ के मंदिर हेतु पुण्य दान करें

QR कोड स्कैन करें और दान करें

🙏 धन्यवाद 🙏

आपका यह दान धर्म, भक्ति और सेवा के पवित्र कार्य में सहायक सिद्ध होगा। माँ बगलामुखी आपकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करें और आपको शक्ति, सफलता व सुरक्षा प्रदान करें।

🔱  जय माँ बगलामुखी  🔱