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Baglatd

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बन्धन कैसे खोले

समाज में अच्छे व बुरे दोनों प्रकार के साधक होते हैं, यदि किसी दुष्ट तांत्रिक ने आप के मंत्रों का कीलन कर दिया, दूसरे शब्दों में उसने आप के मंत्रों को बांध दिया है, तो आप का सारा परिश्रम व्यर्थ हो जाएगा, परिणाम शून्य ही आयेगा। इसलिए कहा गया है कि अनुष्ठान करते समय अपना मंत्र किसी को नहीं बतलाना चाहिए। फिर भी किसी दुष्ट ने यदि आप के मंत्रों को बांध दिया है तो उस दुष्ट तांत्रिक को उचित दंड देने हेतु मां से प्रार्थना करें। मैं वह विधि सार्वजनिक नहीं कर सकता जिससे उस दुष्ट तांत्रिक को चाहे कितना ही ताकतवर क्यू न हो इस संसार को टाटा करना ही पड़ जाता है। कुछ साधारण प्रयोग हैं, जिसे आप करें बन्धन उत्कीलित हो जाएगा व सफलता मिल जाएगी।

मंत्र जप से पूर्व “ऐं ह्रीं ह्रीं ऐं का एक हजार बार जप कर लें, यह विपरीत परिस्थितियों को प्रवेश नहीं करने देगा। इस क्रिया से मंत्र को चारों ओर से सुरक्षित कर दिया जाता है, जिससे किसी प्रकार की विपरीत बाधा का प्रभाव न हो सके। इसे बन्धन कहते हैं।

भयंकरतम क्रिया को बन्धन मुक्त करने के लिए सर्वप्रथम निम्न मंत्र का एक हजार प कर लें फिर एक सौ आठ बार जप कर, जल अभिमंत्रित कर उसे पी जाएं, चाहे जैसा भी बन्धन लगाया गया है, वह कट जाता है।

मंत्र –

“ॐ ऐं ह्रीं श्रीं ॐ ऐं ह्रीं श्री ह्रीं बगलामुखि सर्वदुष्टनां वश्यं कुरू कुरू क्लीं क्लीं ह्रीं हुं फट् स्वाहा। ऊँ ह्रीं बगलामुखि श्री बगलामुखि दुष्टान् भिन्धि भिन्धि, छिन्धि छिन्धि, परमन्त्रान् निवार निवारय, वीर चक्रं छेदय छेदय, बृहस्पतिर्मुख स्तम्भय स्तम्भय, ऊँ ह्रीं अरिष्ट स्तम्भनं कुरू कुरू स्वाहा। ऊँ ह्रीं बगलामुखि हुं फट् स्वाहा ।”

जादू नगरी कामाख्या धाम असम का एक गुप्त शावर है, जिसे बन्धन काटने में प्रयोग करते हैं।

मंत्र –

घर खोलू , धुरखन्द खोलू, आकश खोलू पाताल खोलू गौरा जी काते सूत महादेव जी बनावे जाल, जिहमा खोलू वासु नाग, किया करतब जादू  टोना खोलू धरती के चारों कोना खोलू, बधा हुआ मंत्र खोलू , दुहाई कामरूप कामख्या माई की। 

नोट – इसे शाबर परम्परा के अनुसार जाग्रत कर कार्य कर सकते है। (स्वअनुभूति)

बन्धन काटने हेतु बगला विपरीत प्रत्यांगिरा मंत्र का ग्यारह हजार मंत्र जप व हवन करते हैं, 108 आहुतियाँ दे हवन, घी व राई से करते हैं।

मंत्र –

“ॐ ह्रीं याम् कल्पयन्ति नोऽरयः क्रूरा कृत्यां वधू मिव । ताम् ब्रहणा अप निर्नुद्मः प्रत्यक् कर्तार मिच्छतु ह्रीं ॐ।। “

भीषणतम तांत्रिक विधान नष्ट करने के लिए बगला विपरीत प्रत्यंगिरा व बगला सूक्त का प्रयोग साथ-साथ करें।

बगला कल्प के ग्यारह बार पाठ कर, जल अभिमंत्रित कर यह बोलते हु कि ‘मेरे ऊपर जो भी बन्धन लगाया गया है, जो भी जादू टोना किया गया है उसे नष्ट कर दिया जाए ।’ और वह जल स्वयं पी जाए, तुरन्त उसी क्षण परिणाम सामने आ जाएगा।

एक घटना आप को सुनाता हूँ एक साहब की नई-नई शादी हुई थी, सुहाग रात में ही उनके लिंग की ताकत जाती रही काफी इलाज किया, हमारे सम्पर्क में आए, हमने उपरोक्त जल बनाकर दिया और बतलाया इसे आधा पी जाए व आधे बचे जल से लिंग को धो लें, आप को आश्चर्य होगा उसी रात उनके लिंग में जबर्दस्त तनाव आया व उन्होंने अपने दाम्पत्य दायित्वों का प्रथम बार निर्वहन किया। हमने अनुभव में पाया है कि बगला कल्प का प्रयोग कभी असफलता की ओर नहीं बढ़ता ।

दूसरी घटना हमारे शिष्य के साथ हुई, उन्होंने एक बालिका के विवाह हेतु अनुष्ठान पूर्ण किया परन्तु कोई लाभ न हुआ, तीन माह बाद उन्होंने अपनी आप बीती बतलाई कि मेरा सारा परिश्रम व्यर्थ गया, यजमान की बालिका का विवाह नहीं हो पाया और मेरी प्रतिष्ठा पर भी दाग लग गया। उन्हें निर्देश दिया बगला कल्प का तीन बार पाठ कर, जल अभिमंत्रित कर दिया जाए व पुनः कन्या के विवाह का संकल्प कर पूर्व मंत्र का ही जप करें सफलता अवश्य मिलेगी। मेरे शिष्य ने ठीक वैसा ही किया जैसा मैने बतलाया अनुष्ठान पूर्ण होने के एक माह बाद ही कन्या का विवाह एक सम्पन्न परिवार में तय होकर वर इक्क्षा व गोद भराई विवाह की दो रस्में भी पूर्ण हो गई। कहने का अभिप्राय यह है कि बीच-बीच में बगला कल्प का तीन-चार पाठ अवश्य कर लिया करें, क्यों कि समाज में दुष्टों की कमी नहीं है, वे आप की प्रगति देख कर ही जलनवश आप पर बन्धन लगवाने का कार्य भी करेंगे, यह मैं पूर्णतः सत्य कह रहा हूँ क्यों कि मैं मुक्त भोगी हूँ और मैं नहीं चाहूँगा कोई भी व्यक्ति हमारे जैसा पीड़ित हो व तांत्रिकों के चक्रव्यूह में न फंसे, यदि आप बगला कल्प का पाठ कर रहे हैं तो आप का अहित चाहने वालों को माँ बड़ा भयंकर दंड देती है यदि वह फिर भी न माना तो उसके जीने का अधिकार ही समाप्त कर देती है। यह विद्या बहुत ही तीव्र व छुपे हुए शत्रुओं को नष्ट करने वाली है ऐसा बगला उपनिषद में लिखा है।

|| जय माँ बगलामुखी ||

टी.डी. सिंह जी

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करते रहो-करते रहो- माँ सब कुछ देती है

जब माँ बगलामुखी अपने साधक को कुछ विशेष देना चाहती है, तब परिश्रम अत्यधिक करा लेती है। हमारे सद्गुरू बसन्त बाबा कामाख्या धाम, असम हमसे यही कहते रहते थे, “ करते रहो- करते रहो-माँ सब कुछ देती है” सुन कर मैं म नही मन सोचा करता था, यह हमें कुछ बतलाना नहीं चाहते। अतः करते रहो करते रहो कह कर हमें टरका रहें हैं। परन्तु गुरु आज्ञा सर्वोपरी मान कर पुनः मैं जय के मार्ग पर आगे बढ़ने लगता, करते-करते दो वर्ष कब व्यतीत हो गए, हमें ज्ञात ही नहीं रहा, परन्तु माँ ने हमें देना प्रारम्भ किया तो देती ही रही, जिसका क्रम आज भी चल रहा है, मन अत्यधिक प्रफुल्लित रहता है। अब तो कुछ मांगने की इच्छा

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भवान्मअष्टक

1. न तातो न माता न बन्धुर्न दाता,      न पुत्रो न पुत्री न भृत्यो न भर्ता।      न जाया न विद्या न वृत्तिर्ममेव,      गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानी॥ १॥ स्वाहा 2. भवाद्भक्तिहीनः पतितः प्रमत्तः,      प्रकामं प्रलोभं च न जाने विधत्तम्।      कु-संसार-पाशे भ्रमन् मोहमग्नः,      गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानी॥ २॥ स्वाहा 3. न जानामि दानं न च ध्यानयोगं,      न जानामि तन्त्रं न च स्तोत्रमन्त्रम्।      न जानामि पूजां न च न्यासयोगं,      गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानी॥ ३॥ स्वाहा 4. न जानामि पुण्यं न जानामि तीर्थं,      न जानामि मुक्तिं लयं वा कदाचित्।      न जानामि भक्तिं व्रतं वापि मातः,      गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानी॥ ४॥ स्वाहा 5. मार्गेऽस्मि कु-शिल्पी कु-बुद्धिः कु-दासः,      कुलाचारहीनः सदा चापराधी।      कुदृष्टिः कुवाक्यप्रबन्धोऽहमज्ञः,      गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानी॥ ५॥ स्वाहा 6. प्रजेशं रमेशं महेशं सुरेशं,      दिनेशं निशीथेश्वरं

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🔱  जय माँ बगलामुखी  🔱