“ॐ ह्ल्रीं ब्रह्मा अस्त्राय विद्महे स्तम्भन ।
वाणायै धीमहि तन्नो बगला प्रचोदयात्।।”
महत्वपूर्ण निर्देश: जप से पूर्व 1 माला करें, जिससे जप में आने वाली विघ्नों से रक्षा होती है। तत्पश्चात् जप प्रारम्भ करें।
मूल मंत्र: ॐ ह्ल्रीं बगलामुखि ! सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्ल्रीं ॐ स्वाहा । (नोट: ह्ल्रीं का उच्चारण “ह्ल्ी” किया जाए।)
एक लक्ष जप के उपरान्त हवन करें, उसका दशांश तर्पण, मार्जन तथा ब्राह्मण भोज कराएं।
हवन सामग्री (प्रारंभिक प्रयोग हेतु):
- पिसी हल्दी
- पीली सरसों
- चम्पा के फूल
- सुनहरी हरताल
- थोड़ा पिसा नमक
- लौंग
- मालकांगनी (इन सबको कड़वे तेल में सानकर आहुतियाँ दें।)
सम्पुटित मंत्र की तीव्रता (स्वास्थ्य लाभ हेतु प्रयोग)
मेरे परिचित की रात एकाएक स्वास्थ्य चिंताजनक हो गई। उन्हें बेहोशी की हालत में अस्पताल ले जाना पड़ा। इधर गुरुजी को फोन लगाया, उन्होंने महामृत्युंजय जप को बगलामुखि के मूल मंत्र से सम्पुटित कर 10,000 जाप का निर्देश दिया।
मैंने गुरु वचनों को लिपिबद्ध कर तुरन्त संकल्प लेकर जप प्रारम्भ किया। रात्रि 11:57 से सुबह 7:00 बजे तक जप चलता रहा। मरीज की हालत में सुधार देखा गया। केवल तीन ही दिनों में मरीज की स्थिति में पर्याप्त सुधार हुआ और वह अस्पताल से घर लौट आई।
घर आने पर विशेष क्रिया की गई: कच्चे धागे से मरीज को सिर से पांव तक 7 बार नापा गया। यह धागा जटा नारियल (पानी वाला) पर लपेट कर, उस पर रोली व काजल के 7-7 टीके लगाए गए। मरीज के ऊपर से यह धागा 7 बार उतारा गया और कहते हुए बहते जल में प्रवाहित किया गया — “मरीज के सारे रोग-शोक इसमें समाहित हो जाएं।”
संकल्प: ॐ तत्सध… भगवती पीताम्बराया प्रसाद सिद्धि द्वारा कश्यप गोत्रोत्पन्न (रोगी का नाम) नामम्ने मम यजमानस्या सर्वोभिष्ट सिद्ध्यर्थे च स्वास्थ्य लाभार्थे श्री भगवती पीताम्बरा मूल मंत्र सम्पुटे महामृत्युंजय मंत्र यथा शक्ति जपे अहं करिण्ये।
बगलामूल मंत्र + महामृत्युंजय मंत्र + बगला मूल मंत्र = एक सम्पुटित मंत्र।
5 माला नित्य जपने से 5 दिनों में मरीज के स्वास्थ्य में अद्भुत सुधार देखा गया। जप के अन्त में भगवती को भोग अर्पित किया गया:
“भगवति कृपया भोग स्वीकार करें” — और फिर भोग को सभी में वितरित किया गया।
तीन माह बाद:
यजमानस्या की पुनः स्वास्थ्य स्थिति गंभीर हो गई। शरीर में ठंडक आ जाती, बेहोशी छा जाती, और लेटने पर स्वतः मूत्र त्याग हो जाता था।
दूसरा संकल्प: ॐ तत्सध… कृत्या प्रयोगम् मंत्र यंत्र तंत्र कृत प्रयोग विनाशार्थे, आरोग्य प्राप्तार्थ भगवति अमृतेश्वरी स्वरूपा वगलामुखि प्रसाद सिद्धि द्वारा मम यजमानस्या (नाम…) सर्व आरोग्य प्राप्तार्थे होमे अहम् करिष्ये।
हवन विधि:
- प्रत्येक मंत्र के बाद आहुति दें।
- प्रत्येक श्लोक के बाद भी आहुति दें।
- आहुति क्रम: 1 से 4 और पुनः 4 से 1।
मंत्रों का क्रम:
- महामृत्युंजय मंत्र (5 माला) — प्रत्येक मंत्र के अंत में “स्वाहा” के साथ आहुति।
- अमृतेश्वरी मंत्र: ॐ श्री ह्रीं मृत्युंजये भवगती चैतन्य चन्द्रे हंस संजीवनी स्वाहा।
- भवान्य अष्टक — 1 पाठ, प्रत्येक श्लोक के बाद आहुति।
- बगलामुखि मूल मंत्र — 5 माला, प्रत्येक मंत्र के बाद आहुति।
हवन का समय: रात्रि 11:00 बजे प्रारंभ कर 2:37 बजे पूर्ण।
विशेष व्यवस्था: घी का दीपक हवन के समय जलता रहे तथा एक कलश में जल पास में रखा जाए।
हवन सामग्री (पूरक मात्रा सहित):
- पीली सरसों — 250 ग्राम
- राई — 250 ग्राम
- लाजा — 500 ग्राम
- वालछड़ — 10 ग्राम
- काली मिर्च — 100 ग्राम
- बूरा — 500 ग्राम
- शहद — 200 ग्राम
- हल्दी — 200 ग्राम
- लौंग — ₹5 की मात्रा
- इलायची — ₹5 की मात्रा
- खीर — 100 ग्राम (इन सभी को देशी घी में सानकर तैयार किया गया।)
परिणाम: दूसरे ही दिन मरीज को मूत्र रोकने की शक्ति पुनः प्राप्त हो गई। सभी लक्षण धीरे-धीरे ठीक होने लगे। कच्चे धागे का प्रयोग पुनः किया गया और परिणाम अति उत्तम रहा।
निष्कर्ष: माँ बगलामुखी की कृपा से सम्पुटित मंत्रों द्वारा जप और विशेष हवन विधि के माध्यम से गंभीर स्वास्थ्य संकट से उबरना संभव है। यह प्रयोग तांत्रिक साधना में विश्वास और नियमितता के साथ किया जाए तो यह अत्यंत लाभकारी सिद्ध होता है।
|| जय माँ बगलामुखी ||