शास्त्रो में लिखा है यदि आप को आर्थिक मानसिक, शारीरिक हानि पहुचाने के उद्धेश से किसी स्वार्थी व्यक्ति द्वारा कोई अभिचारिक कर्म आप के विरूद्ध कराया हो तो भगवती बगला मुखी का यह प्रयोग अति उत्तम है।
इस मंत्र की यह विशेषता है कि विरोधी द्वारा प्रयोग की गई विद्या का हरण कर, शमन कर देती है। यह विद्या 1 लाख जप से सिद्व होती है। जिसे 14 से 21 दिनों में पूर्ण कर लेते हैं। यदि यह प्रोग्राम ठीक चला तो 5 किलो मीटर तक कोई भी विद्या कार्य नही करेगी। यदि इस मंत्र के बाद विपरीत प्रत्यगिरा मंत्र लगा कर जाप करे तो वह गड़ंत को नष्ट कर देता है।
हमने मूल मंत्र का सम्पुट लगा कर 1 लाख जप का संकल्प किया, 17 हजार जप के उपरान्त एक रात जप कर उठता हूँ बाहर एक काला जिन्न खड़ा था, मुझे देखते ही वह छुपने लगा, मैने उसे बुला कर पूछा, यहाँ कैसे? गुर्रा कर उसने उत्तर दिया- भेजा गया हूँ, मैंने उससे कहा माफ किया परन्तु जिसने भेजा है उसे एक किक लगाओ कि उसके मुँह से खून आए। उसने मुझे सलाम ठोकी और तुरन्त ही चला गया। एक बात मैने नोट की जिन्न चल नही रहा था हवो में तैरता हुआ मेरे पास आया था दूसरे वह मुँह से नही बोल रहा था वरन् उसके शरीर से आवाज निकल रही थी बड़ा ही लम्बा चैड़ा हट्टा-कट्टा जिन्न था, यह कोई स्वप्न की बात नही है वरन् प्रत्यक्ष घटी घटना है। ठीक दूसरे दिन मोहल्ले की ही एक औरत को टेम्पों ने पीछे से टक्कर मारी वह मुंह के बल सड़क पर गिरी, उसके मुंह से काफी खून आया, साथ ही सीने की सारी हडिडयाँ टूट गई, वह एक दुष्ट तांत्रिक है।
एक लाख जप के उपरान्त दशांश जप कर हवन किया
हवन सामग्री : हल्दी, पीली सरसों साबुत लाल मिर्च हवन सामग्री जिसे कडुवे तेल में साना गया।
संकल्प : ॐ तत्सद्य… ……… प्रसाद सिद्धी द्वारा पर कृत्या नष्टार्थे पर-मंत्र, पर-तन्त्र, पर-यंत्र भक्षार्थे च मम सर्वाभीष्ठ सिद्धियर्थे भगवती बगला मूलमंत्र सम्पुटे पर विद्या भक्षिणी मंत्र एक लक्ष जपे अहम् कुर्वे।
मंत्र- परविद्या भक्षणी मन्त्र (127 अक्षर)
“ॐ हलीं श्रीं ह्रीं ग्लौं ऐ क्लीं हुं क्षौं बगला मुखि पर प्रयोगम् ग्रस ग्रस, ॐ 8 ब्रम्हास्त्र रूपिणि पर विद्या- ग्रासिनि ! भक्षय भक्षय, ॐ8 पर प्रज्ञा हारिणि । प्रज्ञां भ्रंशय भ्रंशय ॐ 8 स्तम्भ नास्त्र रूपिणि । बुद्धिं नाशय नाशय, पच्चेन्द्रिय-ज्ञांन भक्ष भक्ष, ऊँ 8 बगला मुखि हुं फट् स्वाहा । ” ( जहाँ 8 है वहां हलीं से क्षौम तक पढ़ें )
विनियोग : ॐ अस्य श्री पर विद्या भेदिनी बगला मुखी मन्त्रस्य श्री ब्रह्मा ऋषिः, गायत्री छन्दः, पर विद्या भक्षिणी श्री बगलामुखी देवता आं बीजं, हल्लीं शक्ति, क्लीं कीलंक, श्री बगला देवी प्रसाद सिद्धि द्वारा पर विद्या भेदनार्थे जपे विनियोगः ।
ऋष्यादि न्यास : श्री ब्रह्मर्षये नमः शिरसि, गायत्री छन्दसे नमः मुखे, पर विद्या भक्षिणी श्री बगलामुखी देवतायै नमः हृदि, आं बीजाय नमः हो, हलीं शक्तिये नमः पदियोः, क्रों कीलकाये नमः सर्वाग्डे, श्री बगलादेवी प्रसाद सिद्धि द्वारा पर विद्या भेदनार्थेजपे विनियोगाय नमः अज्जलौ ।
कर-न्यास :
आं ह्रीं क्रों अंगुष्ठाभ्यां नमः, वद वद तर्जनीभ्यां स्वाहा, वाग्वादिनि मध्यमाभ्यां वषट्, स्वा अनामिकाभ्यां हुं, ऐ क्लीं सौं कनिष्ठाभ्यां वौष्ट्, हलीं करतल-कर-पुष्टाभ्यां फट्।
अग्ड न्यास :
आं हल्लीं क्रों हृदयाय नमः, वद वद शिर से स्वाहा, वाग्वादिनि शिखायै वषट् स्वाहा कवचाय हुं, ऐं क्लीं सौ नेत्रत्रयाय वौष्ट्, हलीं अस्त्राय फट् ।
ध्यान
सर्व मंत्र मयीं देवीं सर्वाकर्षण कारिणीम् ।
सर्व विद्या भक्षिणी च भजेऽहं विधि पूर्वकम् ।
सम्पुटित मंत्र की तीव्रता (स्वास्थ्य लाभ हेतु)
एक परिचित की रात में अचानक तबीयत बिगड़ गई, उन्हें अवचेतन अवस्था में अस्पताल ले जाना पड़ा।
गुरुजी को फोन कर स्थिति बताई। उन्होंने मूल बगला मंत्र से सम्पुटित महामृत्युंजय मंत्र के 10,000 जाप का निर्देश दिया।रात्रि 11:57 से प्रातः 7:00 बजे तक जाप किया गया।तीन ही दिनों में मरीज़ की स्थिति में चमत्कारी सुधार हुआ और वह घर लौट आई।
मरीज के घर आने पर क्रिया की-
कच्चे धागे से मरीज को सर से पांव तक नापते हैं ऐसा 7 बार नाप कर वह धागा जटा नारियल (पानी वाला) पर लपेट कर रोली व काजल के 7-7 टीके लगा कर मरीज के ऊपर से 7 बार उतारे, उतारते समय कहे, मरीज के सारे रोग शोक इसमें आ जाए व सन्ध्या समय बहते पानी में इसे प्रवाहित करे यह कहते हुए कि मरीज के सारे रोग-शोक अपने साथ ले जाओ, पीछे मुड़कर न देखें।
संकल्प-
ॐ तत्सध…………… भगवती पीताम्बराया प्रसाद सिद्वि द्वारा कश्यप गोत्रोत्यन्न ( रोगी का नाम) नामम्ने मम यजममानस्या सर्वोभिष्ट सिद्वियार्थे च स्वास्थ्य लाभर्थे श्री भगवती पीताम्बरा मंत्र सम्पुटे महामृत्युंजय मंत्र यथा शक्ति जपे अहम् करिण्ये |
बगलामूल मंत्र + महामृत्युंजय मंत्र + बगला मूल मंत्र यह 1 मंत्र हुआ। 5 माला उपरोक्त की जप नित्य 5 दिनों में मरीज को ठीक होते देखा गया है। अन्त में भवगती को भोग यह कहते हुए अर्पित किया कि भगवति कृपया भोग स्वीकार करें व भोग को बांट दें। तीन माह बाद मेरे यजमानस्या की पुनः स्वास्थ्य चिन्ता जनक होने लगा एकाएक शरीर ठंडा हो जाता, बेहोशी आ जाती, लेटने पर स्वतः पेशाब हो जाता था ।
संकल्प-
ॐ तत्सध……… कृत्या प्रयोगम् मंत्र यंत्र तंत्र कृत प्रयोग विनाशार्थे, आरोग्य प्राप्तार्थ भगवति अमृतेश्वरी स्वरूपा वगलामुखि प्रसाद सिद्धि द्वारा मम यजमानस्या ( नाम ……) सर्व आरोग्य प्राप्तार्थे होमे अहम् करिष्ये ।
नोट: प्रत्येक मंत्र के बाद आहुति, प्रत्येक श्लोक के बाद आहुति । क्रमशः 1 से 4 व पुनः क्रम 4 से 1 की आहुति व्यवस्था की।
1.महामृत्युंजय – 5 माला का हवन किया, मंत्र के अन्त में स्वाहा लगा कर, प्रत्येक मंत्र के बाद आहुति दी
2.अमृतेश्वरी मंत्र
“ॐ श्री ह्रीं मृत्युंजये भवगती चैतन्य चन्दे हंस संजीवनी स्वाहा । “
3.भवान्य अष्टक – 1 पाठ, प्रत्येक श्लोक के बाद आहुति दी।
4.बगलामुखि मूल मंत्र – 5 माला, प्रत्येक मंत्र के बाद आहुति दी गई।
अब क्रम को उल्ट कर हवन किया जो क्रमशः 4, 3, 2 व 1 की भांति आहुतियाँ दी गई। यह रात्रि 11 से प्रारम्भ कर रात्रि 2.37 पर समापन कर दिया। घी का दीपक हवन समय जलता रहे व वहीं कलश में पानी रखे।
हवन सामग्री:-
पीली सरसों 250 ग्राम
राई 250 ग्राम,
लाजा 500 ग्राम
वालछड़ 10 ग्राम,
काली मिर्च 100 ग्राम
बूरा 500 ग्राम
शहद 200 ग्राम
हल्दी 200 ग्राम
लौंग 10 ग्राम
खीर 100 ग्राम
इलाइची 10 ग्राम
इन सभी को घी में साना गया। दूसरे दिन ही मरीज़ को पेशाब रोकने की शक्ति नहीं रह गई थी, वह सब ठीक हो गई, पुनः कच्चे धागे वाला प्रयोग पूर्ववत् कर दिया परिणाम अति उत्तम रहा।
|| जय माँ बगलामुखी ||