मेरे यजमान की आर्थिक स्थिति अत्यंत दयनीय हो चुकी थी। वह हमेशा पैसों के अभाव में उलझा रहता, उसका मन जीवन की आवश्यकताओं को भी पूरा करने में असमर्थ था। जब स्थिति अत्यधिक चिंताजनक हो गई, तब मैंने सोचा कि कोई विशेष अनुष्ठान किया जाए जिससे उसे त्वरित लाभ मिले। लेकिन यह स्पष्ट था कि बिना भगवती बगला की कृपा के यह संभव नहीं था। अतः भगवती बगला की प्रसन्नता एवं आर्थिक उन्नति के उद्देश्य से मैंने बगला अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र का १०८ माला पाठ कर हवन करने का संकल्प लिया।
बगला शतनाम के १०८ माला पाठ कर हवन किया गया। परिणाम अत्यंत चमत्कारी रहा – यजमान की आर्थिक स्थिति में तुरंत सुधार आने लगा और जीवन में स्थिरता लौटने लगी।
क्रिया विवरण (विष्णुयामल से उद्धृत)
विनियोग: ॐ अस्य श्री पीताम्वर्य अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रस्य सदा शिव ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः श्री पीताम्बरी देवता, श्री पीताम्बरी जपे हवन विनियोगः। (जल पृथ्वी पर डाल दें)
१०८ नामों के साथ हवन मंत्र:
- ॐ बगलाये नमः स्वाहा।
- ॐ विष्णु विनिताये नमः स्वाहा।
- ॐ विष्णु शंकर भामनी नमः स्वाहा।
- ॐ बहुला नमः स्वाहा।
- ॐ वेदमाता नमः स्वाहा।
- ॐ महा विष्णु प्रसूरपि नमः स्वाहा।
- ॐ महा – मत्स्या नमः स्वाहा।
- ॐ महा – कूर्मा नमः स्वाहा।
- ॐ महा-वाराह-रूपिणी नमः स्वाहा।
- ॐ नरसिंह-प्रिया रम्या नमः स्वाहा।
- ॐ वामना वटु-रूपिणी नमः स्वाहा।
- ॐ जामदग्न्य-स्वरूपा नमः स्वाहा।
- ॐ रामा राम-प्रपूजिता नमः स्वाहा।
- ॐ कृष्णा नमः स्वाहा।
- ॐ कपर्दिनी नमः स्वाहा।
- ॐ कृत्या नमः स्वाहा।
- ॐ कलहा नमः स्वाहा।
- ॐ कलविकारिणी नमः स्वाहा।
- ॐ बुद्धिरूपा नमः स्वाहा।
- ॐ बुद्धि-भार्या नमः स्वाहा।
- ॐ बौद्ध -पाखण्ड – खण्डिनी नमः स्वाहा।
- ॐ कल्कि-रूपा नमः स्वाहा।
- ॐ कलि-हरा नमः स्वाहा।
- ॐ कलि – दुर्गति- नाशिनी नमः स्वाहा।
- ॐ कोटि – सूर्य – प्रतीकाशा नमः स्वाहा।
- ॐ कोटि – कन्दर्प – मोहिनी नमः स्वाहा।
- ॐ केवला नमः स्वाहा।
- ॐ कठिना नमः स्वाहा।
- ॐ काली नमः स्वाहा।
- ॐ कला कैवल्य – दायिनी नमः स्वाहा।
- ॐ केश्वी नमः स्वाहा।
- ॐ केश्वाराध्या नमः स्वाहा।
- ॐ किशोरी नमः स्वाहा।
- ॐ केशव- स्तुता नमः स्वाहा।
- ॐ रुद्र – रूपा नमः स्वाहा।
- ॐ रुद्र – मूर्ति नमः स्वाहा।
- ॐ रुद्राणी नमः स्वाहा।
- ॐ रुद्र – देवता नमः स्वाहा।
- ॐ नक्षत्र – रूपा नमः स्वाहा।
- ॐ नक्षत्रा नमः स्वाहा।
- ॐ नक्षत्रेश – प्रपूजिता नमः स्वाहा।
- ॐ नक्षत्रेश – प्रिया नमः स्वाहा।
- ॐ नित्या नमः स्वाहा।
- ॐ नक्षत्र – पति – वन्दिता नमः स्वाहा।
- ॐ नागिनी नमः स्वाहा।
- ॐ नाग-जननी नमः स्वाहा।
- ॐ नाग-राज -प्रवन्दिता नमः स्वाहा।
- ॐ नागेश्वरी नमः स्वाहा।
- ॐ नाग कन्या नमः स्वाहा।
- ॐ नागरी नमः स्वाहा।
- ॐ नगात्मजा नमः स्वाहा।
- ॐ नागराज प्रपूजिता नमः स्वाहा।
- ॐ नगाधिराज – तनया नमः स्वाहा।
- ॐ नवीना नमः स्वाहा।
- ॐ नीरदा नमः स्वाहा।
- ॐ पीता नमः स्वाहा।
- ॐ श्यामा नमः स्वाहा।
- ॐ सौन्दर्य – करिणी नमः स्वाहा।
- ॐ रक्ता नमः स्वाहा।
- ॐ नीला नमः स्वाहा।
- ॐ घना नमः स्वाहा।
- ॐ शुभ्रा नमः स्वाहा।
- ॐ श्वेता नमः स्वाहा।
- ॐ सौभाग्या नमः स्वाहा।
- ॐ सुन्दरी नमः स्वाहा।
- ॐ सौभगा नमः स्वाहा।
- ॐ सौम्या नमः स्वाहा।
- ॐ स्वर्णभा नमः स्वाहा।
- ॐ स्वर्गति – प्रदा नमः स्वाहा।
- ॐ रिपु -त्रास- करी नमः स्वाहा।
- ॐ रेखा नमः स्वाहा।
- ॐ शत्रु – संहार – कारिणी नमः स्वाहा।
- ॐ भामिनी नमः स्वाहा।
- ॐ माया नमः स्वाहा।
- ॐ स्तम्भिनी नमः स्वाहा।
- ॐ मोहिनी नमः स्वाहा।
- ॐ राग- ध्वंस-करी नमः स्वाहा।
- ॐ रात्री नमः स्वाहा।
- ॐ शैख -ध्वंस- कारिणी नमः स्वाहा।
- ॐ यक्षिणी नमः स्वाहा।
- ॐ सिद्ध – निवहा नमः स्वाहा।
- ॐ सिद्धेशा नमः स्वाहा।
- ॐ सिद्धि – रूपिणी नमः स्वाहा।
- ॐ लंका – पति – ध्वंसकरी नमः स्वाहा।
- ॐ लंकेश – रिपु – वन्दिता नमः स्वाहा।
- ॐ लंका – नाथ – कुल – हरा नमः स्वाहा।
- ॐ महा – रावण -हारिणी नमः स्वाहा।
- ॐ देव -दानव – सिद्धौध पूजिता नमः स्वाहा।
- ॐ परमेश्वरी नमः स्वाहा।
- ॐ परमा नमः स्वाहा।
- ॐ पर -तन्त्र – विनाशनी नमः स्वाहा।
- ॐ पराणु रूपा नमः स्वाहा।
- ॐ वरदा नमः स्वाहा।
- ॐ वरदराध्या नमः स्वाहा।
- ॐ वर -दान -परायणा नमः स्वाहा।
- ॐ वर- देश -प्रिया वीरा नमः स्वाहा।
- ॐ वीर – भूषण -भूषिता नमः स्वाहा।
- ॐ वसुदा नमः स्वाहा।
- ॐ वहुदा नमः स्वाहा।
- ॐ वाणी नमः स्वाहा।
- ॐ ब्रह्म रूपा नमः स्वाहा।
- ॐ वरानना नमः स्वाहा।
- ॐ वलदा नमः स्वाहा।
- ॐ पीतवसना नमः स्वाहा।
- ॐ पीत -भूषण -भूषिता नमः स्वाहा।
- ॐ पीत- पुष्प- प्रिया नमः स्वाहा।
- ॐ पीत- हारा नमः स्वाहा।
- ॐ पीत -स्वरूपिणी नमः स्वाहा।
हवन सामग्री:
- शक्कर का बूरा – 2 किलो
- काला तिल – 2 किलो
- कमल बीज – 200 ग्राम
- शहद – 100 ग्राम
- देशी घी – 200 ग्राम
- सेंधा नमक – 10 ग्राम
विशेष निर्देश:
- पहले दिन 10 माला (लगभग 10,000 आहुतियाँ) का हवन करें।
- अगले 36 दिनों तक प्रतिदिन एक माला (108 आहुतियाँ) हवन करें।
- यह साधना साधक की आर्थिक स्थितियों को तीव्रता से सुधारने में सहायक होती है।
- विपक्षियों के तंत्र और विघ्न स्वतः शांत होने लगते हैं।
- हवन पूर्ण कर अग्नि देव को नमस्कार कर तीन बार जल अर्पित कर अग्नि विसर्जन करें।
अनुभव से सीख:
इस अद्भुत शतनाम हवन प्रयोग से यह स्पष्ट होता है कि श्रद्धा, नियमबद्धता और मंत्र शक्ति से कठिन से कठिन परिस्थितियाँ भी परिवर्तित की जा सकती हैं। यह साधना न केवल धनाभाव का निवारण करती है, अपितु साधक को आत्मिक बल भी प्रदान करती है।
|| जय माँ पीताम्बरा ||