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Baglatd

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अधिक उम्र में विवाह

मेरे यजमान की उम्र ३५ वर्ष हो गई थी परन्तु उसका विवाह नहीं हो पा रहा था लड़की वाले आते विवाह के बारे में चर्चा लड़की पसंद आने पर लड़की वाले खुद स्वयं हट जाते थे, जब की लड़का सर्विस में थे अच्छी खासी कमाई भी करता था, स्वस्थ्य वा सूंदर होने के बाद भी विवाह नहीं हो पा रहा था, कारण उसके पिता को सफ़ेद दाग की बीमारी थी। उसके लिए अनुष्ठान किया गया सर्व प्रथम उसके प्रारब्ध का सुधार बगला गायत्री का एक लाख जप करके हवन किया गया|

हवन सामग्री सूची

  • मालकांगनी – 500 ग्राम
  • पिली सरसों – 500 ग्राम
  • गूगल – 200 ग्राम
  • सुनहरी हरताल – 100 ग्राम
  • लौंग – 20 ग्राम
  • छोटी इलायची – 10 ग्राम
  • हवन सामग्री (पैकेट) – 1 किलोग्राम
  • देशी घी – 500 ग्राम या नारियल तेल – 500 ग्राम

इस प्रकार प्रारब्ध ठीक कर उसके विवाह हेतु मूल मंत्र से सम्पुटित कर दुर्गा सप्तसती के मंत्र का एक लाख जप वा हवन किया गया

हवन सामग्री इस प्रकार है :-

सफ़ेद चन्दन, लौंग, जटामासी, नागकेशर, काली मिर्च, गूगल, इन्दर जौ, बेल गिरी, नवग्रह की लकड़ी, नागर मोथा, पिली सरसो १ किलो, छार, छबीरा, अगर, तगर, गुलाब की सुखी पंखुड़ी, हवन सामग्री

-१ किलोग्राम, देशी घी में सांन कर ।

परिणाम :-

इस हवन के एक माह बाद ही लड़के का विवाह अच्छे से हो गया, पढ़ी लिखी लड़की जौ की संस्कारित भी थी तद्पश्चात एक वर्ष में उसने एक स्वस्थ्य और सुन्दर पुत्र को जन्म दिया। इस प्रकार हम देखते है माँ जब देती है तो छप्पर फाड़ कर देती हैं |

|| जय माँ बगलामुखी ||

टी.डी. सिंह जी

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बगलामुखी ब्रह्मास्त्र मंत्र

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं प्रत्यंगिरे मां रक्ष रक्ष मम शत्रून भंजय भंजय फे हुं फट् स्वाहा । ऊँ हटाकर ” हूम् ” लगाकर जप करे ॐ नमो भगवति चामुण्डे नरकंक गृधोलूक परिवार सहिते श्मशानप्रिये नररुधिरमांस चरु भोजन प्रिये ! सिद्ध विद्याधर वृन्द वंदित चरणे बृह्मेशविष्णु वरुण कुबेर भैरवी भैरव प्रिये इन्द्रक्रोध विनिर्गत शरीरे द्वादशादित्य चण्डप्रभे अस्थि मुण्ड कपाल मालाभरणे शीघ्रं दक्षिण दिशि आगच्छ आगच्छ, मानय मानय, नुद नुद, सर्व शत्रुणां मारय मारय, चूर्णय चूर्णय, आवेशय आवेशय, त्रुट त्रुट, त्रोटय त्रोटय, स्फुट स्फुट, स्फोटय स्फोटय, महाभूतान् जृम्भय जृम्भय, ब्रह्मराक्षसान उच्चाटय उच्चाटय, भूत प्रेत पिशाचान् मूर्च्छय मूर्च्छय, मम शत्रुन उच्चाटय उच्चाटय, शत्रून चूर्णय चूर्णय, सत्यं कथय कथय, वृक्षेभ्यः संन्नाशय संन्नाशय अर्क स्तंभय स्तंभय गरुड पक्षपातेन विषं निर्विषं कुरु कुरु, लीलांगालयवृक्षेभ्यः परिपातय परिपातय,

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धनाभाव व भगवती पीताम्बरा – एक प्रभावी शतनाम हवन अनुभव

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🔱  जय माँ बगलामुखी  🔱