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Baglatd

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बगला प्रत्यंगिरा कवच

(इस स्तोत्र का विधान रुद्रयामल में शिव पार्वती संवाद से उजागृत हुआ है)

विनियोग:-

ॐ अस्य श्री बगला प्रत्यंगिरा मंत्रस्य नारद ऋषिः स्त्रिष्टुपछन्दः प्रत्यंगिरा देवता ह्लीं बीजं हूँ शक्तिः ह्रीं कीलकं हलीं हलीं हलीं हलीं प्रत्यंगिरा मम शत्रु विनाशे विनियोगः |

(हाथ मे लिये हुए जल को पृथ्वी पर डाल दे )

ॐ प्रत्यंगिरायै नमः प्रत्यंगिरे सकल कामान साधय मम रक्षां कुरु कुरु सर्वान खादय मारय मारय, घातय घातय ॐ ह्रीं फट स्वाहा |

ॐ भ्रामरी स्तम्भिनी देवी क्षोभिणी मोहिनी तथा । संहारिणी द्राविणी च जृम्भणी रौद्ररूपिणी ||

इत्यष्टौ शक्तयो देवि शत्रु पक्षे नियोजताः |

धारयेत कण्ठदेशे च सर्व शत्रु विनाशिनी ||


ॐ ह्रीं भ्रामरी सर्व शत्रून भ्रामय भ्रामय ॐ ह्रीं स्वाहा |
ॐ ह्रीं स्तम्भिनी मम शत्रून स्तम्भय स्तम्भय ॐ ह्रीं स्वाहा |
ॐ ह्रीं क्षोभिणी मम शत्रून क्षोभय क्षोभय ॐ ह्रीं स्वाहा |
ॐ ह्रीं मोहिनी मम शत्रून मोहय मोहय ॐ ह्रीं स्वाहा |
ॐ ह्रीं संहारिणी मम शत्रून संहारय संहारय ॐ ह्रीं स्वाहा |
ॐ ह्रीं द्राविणी मम शत्रून द्रावय द्रावय ॐ ह्रीं स्वाहा |
ॐ ह्रीं जृम्भिणी मम शत्रून जृम्भय जृम्भय ह्रीं ॐ स्वाहा |
ॐ ह्रीं रौद्र मम शत्रून संतापय संतापय ॐ ह्रीं स्वाहा |

|| इति बगला प्रत्यङ्गिरा कवच ||

> इस स्तोत्र के 100 पाठ से वायु भी स्थिर हो जाता है |

> किन्तु कलिकाल में इसके 400 पाठ करने चाहिए |

> अगर किसी ने कुछ कर दिया हो जैसे मारण, मोहन, उच्चाटन, स्तम्भन आदि तो यह कवच का पाठ जरूर करना ही चाहिए |

> इस कवच के पाठ से साधक के सभी कार्य सफल हो जाते है | और शत्रु का विनाश हो जाता है |


|| जय माँ बगलामुखी ||

टी.डी. सिंह जी

नवीनतम अनुभव

भवान्मअष्टक

1. न तातो न माता न बन्धुर्न दाता,      न पुत्रो न पुत्री न भृत्यो न भर्ता।      न जाया न विद्या न वृत्तिर्ममेव,      गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानी॥ १॥ स्वाहा 2. भवाद्भक्तिहीनः पतितः प्रमत्तः,      प्रकामं प्रलोभं च न जाने विधत्तम्।      कु-संसार-पाशे भ्रमन् मोहमग्नः,      गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानी॥ २॥ स्वाहा 3. न जानामि दानं न च ध्यानयोगं,      न जानामि तन्त्रं न च स्तोत्रमन्त्रम्।      न जानामि पूजां न च न्यासयोगं,      गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानी॥ ३॥ स्वाहा 4. न जानामि पुण्यं न जानामि तीर्थं,      न जानामि मुक्तिं लयं वा कदाचित्।      न जानामि भक्तिं व्रतं वापि मातः,      गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानी॥ ४॥ स्वाहा 5. मार्गेऽस्मि कु-शिल्पी कु-बुद्धिः कु-दासः,      कुलाचारहीनः सदा चापराधी।      कुदृष्टिः कुवाक्यप्रबन्धोऽहमज्ञः,      गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानी॥ ५॥ स्वाहा 6. प्रजेशं रमेशं महेशं सुरेशं,      दिनेशं निशीथेश्वरं

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रूद्रायमल का बगला अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र

नोट – माँ की कृपा विविध होती है – स्तोत्र पाठ ह्रदय की करुण पुकार के रूप में अभिव्यक्त हो तो आध्यात्मिक शक्तियाँ अपनी कृपा प्रदान करती हैं और परामान शीतलशिवरूप द्रवित होती हैं।दुखों-व्याधियों के ह्रदय से करुण पुकार निकली हो तो। शीतला से यज्ञ कर, पाठ न करें कहा गया है – टंटा विघ्न फैलता। ना ही यह हमारा बारम्बार का अनुभव रहा है, बगला शतनाम स्तोत्र में अर्घ्यस्वरूप शक्तियाँ समाहित हुई हैं। || जय माँ बगलामुखी ||

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🔱  जय माँ बगलामुखी  🔱